हिमाचल के पहाड़ों पर बसे गांव खूबसूरती की मिसाल हैं। भोलापन, सादगी, कड़ी मेहनत, यह सब पहाड़ की जीवनशैली का हिस्सा है। पहाड़ों की तरह कठोर एवं जीवट यहां का जनजीवन है। प्रकृति ने पहाड़ों के आंचल में कई ऐसे खूबसूरत भू-खंड रचे हैं जहां की प्राकृतिक आभा किसी का मन न मोह लें यह हो नहीं सकता।
शिमला जिला की रोहड़ू घाटी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। आधुनिकता की चकाचौंध, वाहनों की चीं-पौं, भारी भीड़-भड़ाके से इस घाटी में सब कुछ बदला-बदला सा है, लेकिन रोहड़ू के आस-पास के ग्रामीण आंचल आज भी बदलाव की इस आवोहवा से दूर हैं। इस घाटी के घगोली गांव के लोग आज भी अपनी ग्रामीण शैली, प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति को संजोए हुए हैं।
घगोली बहुत ही खुशहाल और समृद्ध गांव है। रोहड़ू के समीप बसे इस गांव का रहन-सहन, खान-पान यहां तक कि लोगों की जीवन शैली में आज भी लोगों की सादगी, भोलापन और संस्कृति जीवंत दिखाई देती है। ग्रामीणों की माने तो यह गांव आधुनिक चकाचौंध से यूं ही महफूज नहीं रहा बल्कि इसके पीछे ग्रामीणों की एकजुटता और गांव के अस्तित्व को बनाए रखने की दृढ़ शक्ति शक्ति थी।
गांव की पहाड़ी की ओर लगने वाली भूमि में जंगल और सेब के हरे भरे पेड़ हर आगंतुंक को यहां आने मौन आमंत्रण देते हैं, तो नीचले भाग की समतल भूमि पर धान के हरे भरे लहलाहते खेत गांव शांति और समृद्धि को बयां करते हैं।
गांव में देवी देवताओं के तीन मंदिर इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाते है। गांव में चार प्राकृतिक जल स्त्रोतों से बहती शीतल जल धराएं गांव की शोभा बढ़ाते हैं। गांव में अधिकतर मकान लकड़ी के बने हैं। गांव में लगभग 60 परिवार रहते हैं।
गांव में भगवान परशुराम का एक भव्य मंदिर है। भगवान परशुराम की आदमकद मूर्ति इस मंदिर की शोभा बढ़ाती है। इसके अलावा यहां महासू देवता शेडकुड़िया का प्राचीन मंदिर भी स्थित है, जहां पर समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं।
यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और बागवानी है। गांव के काफी लोग सरकारी तथा निजी संस्थानों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गांव का युवा वर्ग शिक्षित हैं और किसी न किसी रूप में स्वरोजगार से जुड़ा है।
गांव में ग्रामीण चिकित्सालय, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की सुविधा है। वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की एक भव्य इमारत का निर्माण अंतिम चरण में है। इस भवन का निर्माण पूरा होने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने में छात्रों को और अधिक बेहतर सुविधाएं मिलेगी। ये गांव राजमार्ग से जुड़ा हुआ है इसलिए यहां आवागमन की सुविधाएं सहज रूप से प्राप्त है।
शिमला जिला की रोहड़ू घाटी का यह गांव भले ही किसी पर्यटन या अन्य नक्शे पर न हो लेकिन गुमनामी के अंधेरे में होते हुए भी न तो किसी समस्या से ग्रस्त दिखता है और न ही आधुनिकता की चकाचौंध में ढलकर अपने बजूद को खोने के लिए आतुर दिखाई देता है।
समस्या सफाई की हो, या गांव की भलाई की। यहां का युवा वर्ग सदैव आगे दिखाई देता है। गांव के ग्रामीण आज भी अपने गांव पर गौरवांवित महसूस करते हैं और यही दुआ करते हैं कि काश…आने वाली पीढ़ी भी इस सादगी, भोलेपन और संस्कृति को यूं ही बनाए रखें।
प्रस्तुति: साक्षी शर्मा
Posted By: Himachal News
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