Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट से आबकारी नीति घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज जमानत मिल गई है। कोर्ट ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) मामले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी। ऐसे में अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने 103 दिन पहले यानी 2 जून को अंतरिम जमानत की मियाद पूरी होने के बाद सरेंडर किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को नियमित जमानत देने का फैसला सुनाया। इस संबंध में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने उनके फैसले पर सहमति जताई।
केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया था।
Arvind Kejriwal Bail: न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई को सुनाई खरी खोटी
न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार किए जाने के समय पर सवाल उठाया और कहा, “एजेंसी का उद्देश्य ईडी मामले में उन्हें जमानत दिए जाने में बाधा डालना था। सहयोग न करने का मतलब आत्म-दोषारोपण नहीं हो सकता। सीबीआई को ऐसी धारणा दूर करनी चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता है,उसे दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है। केजरीवाल के गोलमोल जवाबों का हवाला देकर सीबीआई गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती और हिरासत में रखे नहीं रह सकती। जब केजरीवाल को ईडी मामले में जमानत मिल गई है तो उन्हें हिरासत में रखना न्याय की दृष्टि से ठीक नहीं होगा।”
Arvind Kejriwal Bail: आखिर क्या है शराब नीति घोटाला?
कोरोना काल के बीच दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली आबकारी नीति 2021-22’ लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया।
जानिए जांच कैसी शुरू हुई?
CBI ने अगस्त 2022 में इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की। बाद में CBI द्वारा दर्ज मामले के संबंध में ईडी ने PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच शुरू कर दी। जांच एजेंसियों ने अदालत में दावा किया कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 आप के शीर्ष नेताओं द्वारा बनाई गई थी, ताकि लगातार अवैध धन कमा कर और उसे अपने पास लाया जा सके।
नीति अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए
दावा है कि यह नीति अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए जान बूझकर कमियों के साथ बनाई गई थी। इस नीति की वजह से पिछले दरवाजे से गुटबंदी को बढ़ावा मिला। इसके साथ ही नीति में 12% का अत्यधिक थोक लाभ मार्जिन और 185% का भारी खुदरा लाभ मार्जिन दिया गया। ऐसा करने से AAP के शीर्ष नेताओं को व्यवसायियों से भारी रिश्वत मिली।
ऐसे आया केजरीवाल नाम
केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने हाल ही में अदालत को बताया कि केजरीवाल कथित घोटाले के सरगना हैं। एजेंसी के मुताबिक, केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ से 100 करोड़ रुपये की मांग की थी। वहीं इस पैसे का एक हिस्सा करीब 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल आप ने 2022 में हुए गोवा विधानसभा के चुनाव में किया था।
CBI की जांच ED की जांच से कैसे अलग है?
ED और CBI दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं। ईडी नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, CBI की जांच नीति बनाते समय हुई कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है।
CBI की जांच में अब तक क्या-क्या हुआ?
दिल्ली शराब नीति अनियमितता मामले की जांच कर रही CBI साऊथ ग्रुप समेत कुल 17 आरोपियों के खिलाफ चार आरोप-पत्र दायर कर चुकी है। जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए हैं उनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता भी शामिल हैं। इसके अलावा साऊथ ग्रुप समेत कई आरोपी भी हैं।
CBI ने केजरीवाल को क्यों गिरफ्तार किया था?
CBI ने जब 2022 में शराब नीति मामले में हुए कथित भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, उसमें केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया गया था। दरअसल, इसी साल 21 मार्च में जब ED ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था, तब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दिल्ली की अदालत से कहा था कि PMLA के तहत आरोपी होने के लिए किसी को पहले से तय अपराध में आरोपी होने की जरूरत नहीं है।
अप्रैल में CBI ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उनके वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि यह पूछताछ गवाह के तौर पर की गई थी, आरोपी के तौर पर नहीं। केजरीवाल को अब तक भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है।
इसी साल 26 जून को CBI ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद अदालत ने आबकारी मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को CBI हिरासत में भेज दिया। अदालत ने कहा था कि आरोपी से मामले में पूछताछ करने के लिए रिमांड जरूरी है। CBI ने अदालत में कहा था कि वह केजरीवाल से शराब नीति को लेकर पूछताछ करना चाहती है। CBI ने अदालत को बताया था कि 17 आरोपियों के खिलाफ चार आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं। वह जांच के लगभग निष्कर्ष पर पहुंच चुके हैं।
21 मार्च को ED ने किया था गिरफ्तार
अरविन्द केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। मई में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने आम चुनावों के मद्देनजर उन्हें 01 जून तक अंतरिम जमानत दी थी। उन्होंने 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया।
विवादों से रहा केजरीवाल का नाता
आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम अक्सर विवादों में घिरा रहता है। हाल ही में, केजरीवाल और उनकी पार्टी पर मनी लांड्रिंग (धन शोधन) के आरोप लगे हैं, जो भारतीय राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है। इस मामले की पृष्ठभूमि, आरोप और संबंधित घटनाक्रमों को समझना महत्वपूर्ण है।
अरविंद केजरीवाल ने 2012 में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना की। पार्टी का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और पारदर्शिता को बढ़ावा देना था। पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में जबरदस्त सफलता प्राप्त की और केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। हालांकि, उनकी पार्टी और सरकार कई बार विवादों में घिरी रही है।
Posted By: Himachal News
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