खेमचंद सोनी: सैंज
Banogi Hoom 2024: कुल्लू जिला की सैंज घाटी की बनोगी आज झीहीरू की अश्लील गलियों से गूंज उठेगी। हर साल भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या की रात को मनाए जाने वाले कोठी बनोगी के पटाहरा गांव में मां दुर्गा को समर्पित हूम पर्व सदियों से चली आ रही पम्परा के साथ बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मां दुर्गा के दर्शन को पटाहरा गांव में इस दिन हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मां दुर्गा का हूम पर्व इस बार भादों मास की सोमवती अमावस्या यानी 2 सितंबर को मनाया जा रहा है।
Banogi Hoom 2024: देव समाज से जुड़े सभी लोग रखते हैं उपवास
इस दिन देव समाज से जुड़े सभी लोग उपवास रखते हैं और पूरे दिन माता रानी की भक्ति में लीन रहते है। संध्याकाल में सभी भक्तजन पटाहरा गांव में एकत्रित होते है और भजन कीर्तन शुरू कर दिया जाता है।
Banogi Hoom 2024: ऐसे शुरू होती है हूम की प्रक्रिया
रात्रि बेला शुरू होते ही बनोगी कोठी के तराई क्षेत्र के लोग (मुख्य तौर पर सोती, करटाह, मातला, शुकारी, भौंरुथाच) जिनको (नीउला फराज़) के नाम से जानते है, जलती मशालों के साथ झीहीरू बोलते हुए मां के मन्दिर पटाहरा के लिए रवाना होते हैं। मां के मन्दिर से पहले कुछ दूरी पर झीहीरू बंद किया जाता है। हजारों महिलाएं व बनोगी कोठी के उपरले फराज़ रैंह, मंढ़ी, मन्याशी, पटैहला सहित सैंकड़ों गांव के लोग मन्दिर के प्रांगण में पहले ही हाजिर रहते है।
Banogi Hoom 2024: सैंकड़ो मशालों और देवधुनों से होता है माता का स्वागत
नीउला फराज़ के मां दुर्गा के दरबार में पहुंचते ही माता के देवरथ को पारम्परिक वाद्ययन्त्रों की देवधुनों के साथ प्रांगण में लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मंदिर के प्रांगण में लकड़ी की सैंकड़ों मशाले जला कर मां दुर्गा का स्वागत किया जाता है। मन्दिर के परौल (मुख्य दरवाजे) से माता का रथ जब बाहर निकलता है, मां के प्रथम दर्शन होते हैं। (यह अलौकिक दृश्य शब्दों में बयां करना मुश्किल है।) माता के रथ निकलते ही भूत-प्रेत की नजरों से प्रभावित महिलाओं का खेलना शुरू होता है।
Banogi Hoom 2024: ऐसे शुरू होता है देऊखेल
इसके बाद माता के रथ की परिक्रमा शुरू होती है। पटाहरा गांव की ब्राहम्ण कुल की सुहागिनें माता को धूप अर्पण करती है और माता के देवरथ पर अखरोट-चावल के साथ पुष्प वर्षा करती है। तीन इसी तरह मन्दिर के प्रांगण की तीन परिक्रमा पूरी की जाती है। इसके बाद शुरू होता है देऊखेल। मां दुर्गा के रथ के बाईं ओर माता के देवगूर और दाईं ओर माता दुर्गा के अंगसंग चलने वाले शूरवीर देवता देवता जेहर, खोडू, वीर, दमूटू, भंबू, खाटल्लू, गड़ाला, वोदली के गूर देऊखेल के साथ हाजिरी भरते हैं।
देऊखेल के साथ भारा (देवविधि से आशीर्वाद देने की प्रक्रिया) और भुत-पिशाच-प्रेत बाधा से मुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यह प्रक्रिया लगभग तीन घंटे चलती है।
Banogi Hoom 2024: मशाल यात्रा
कुछ देर विश्राम के उपरांत भौरुथाच, पातल, जाहिला और धारा गांव के लोग मशालें प्रज्वलित करते हैं। एक बार फिर वाद्ययन्त्रों में देवधुन बज उठती है। भौरुथाच, पातल, जाहिला और धारा गांव के लोग जलती मशालों के साथ ‘हा हहिए हा हा’ का उदघोष करते हैं। मां दुर्गा मन्दिर प्रांगण में नृत्य करती। कुछ देर नृत्य करने की बाद मां दुर्गा अपने दूसरे मंदिर देहुरी के लिए प्रस्थान करने का इशारा करती है। इसके बाद शुरू होती है मशाल यात्रा।
जलती मशालों और झीहीरू की गूंज के साथ मां दुर्गा के रथ को पूरे लाव-लश्कर के साथ देहुरी में पहुंचाया जाता है। यहां झीहीरू के साथ माता कुछ देर नृत्य करती है। फिर माता देहूरी मंदिर में विराजमान होती है और रात्रि विश्राम यहीं करती है।
मन्याशी गांव में जलाई जाती है 150 फूट लंबी मशाल
तदोपरांत मां दुर्गा के हारियान मन्याशी गांव को रवाना होते है। मन्याशी गांव में 150 फूट लंबी मौशाल (मशाल) को प्रज्वलित कर पंडीर ऋषि के मंदिर के प्रांगण में स्थापित करते हैं। इस मौशाल को दलूराम व चंदेराम शहनाई वादक के परिवार के सभी पुरुष तैयार करते हैं। इसके बाद लोग पूरी रात कुल्लवी नाटी का आनंद लेते है।
Banogi Hoom 2024: जानिए क्या है मान्यता
दुर्गा माता के बनोगी हूम में देव परपरा देखने योग्य है। मान्यता है कि इस दिन माता दुर्गा ज्वाला रूप (काली रूप) धारण कर अपने क्षेत्र की रक्षा करती है। माता दुर्गा के हूम पर्व से पूरी सैंज घाटी में सुख समृद्धि प्राप्त होती है और आपदाओं से रक्षा होती है। मान्यता है कि जहां दैवीय शक्ति से भूत प्रेत भगाएं जाते है, वहीं बुरी आत्माओं व पिशाचों को भगाने के लिए अश्लील गालियां दी जाती हैं।
कैसे पहुंचे?
हूम पर्व के लिए आप सैंज घाटी के पटाहरा गांव में आप आराम से पहुंच सकते हैं। एनएच 103 में औट तक आप कहीं से भी आ सकते हैं। यहां से सैंज 17 कि.मी. है। सैंज के लिए आप बस, टैक्सी या निजी वहां से आ सकते हैं। सैंज से पटाहरा मात्र 10 किलोमीटर है। दिल्ली से सैंज वैली की दूरी 480 कि.मी. है। कुल्लू से सैंज की दूरी सिर्फ 45 कि.मी. है।
फ्लाइट से: अगर फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट कुल्लू-मनाली है। यहां से आप टैक्सी करके औट और सैंज होते हुए पटाहरा पहुंच सकते हैं।
कहां ठहरें?
पटाहरा और इसके आस-पास देहुरी, मन्याशी में ठहरने के लिए होम स्टे और कॉटेज है जिसकी बुकिंग पहले से करानी होती है। अगर आप बुकिंग कराते हैं तो एक रात के ₹500-2000 में कमरे आसानी से मिल जाएंगे। अगर आप बुकिंग कराके नहीं आए हैं तब भी यहां के लोग आपकी मदद कर सकते हैं। आप स्थानीय लोगों से बात कर सकते हैं, लोकल फूड का आनंद भी ले पाएँगे।
Posted By: Himachal News
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