हिमाचल न्यूज़ | वर्ष 2023 के जुलाई माह की आपदा से टूटी सैंज घाटी एक साल के भीतर फिर खडी हुई है। पिन पार्वती नदी में आई भयंकर बाढ ने घाटी को इतने जख्म दिए कि लोग मानने लगे थे कि अब सैंज को पूर्वास्थ में आने को कई साल लग जाएगे लेकिन बुलंद हौंसलों के आगे यह आपदा बोनी साबित हुई है। हिमाचल न्यूज़ के विशेष संवाददाता हरिराम चौधरी ने जब प्रभावित इलाके का दौरा किया तो पाया कि त्रासदी के दर्द को भूलाकर सैंज घाटी के लोग नए भविष्य की मजबूत नींव तैयार कर रहे हैं।
दस जुलाई 2023 को आई इस प्रलयकारी बाढ़ से सबसे अधिक क्षति सैंज बाजार को पहुंची। बाढ से कई अलीशान मकान और दुकानें जलमग्न हुई और एक दिन में ही 250 परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए थे। सैंकडों लोगों की भूमि तबाह हो गई और दर्जनों लोग भूमिहीन हो गए।
इतनी बड़ी त्रासदी झेलने के बावजूद भी सैंजवासियों ने अपना हौसला नहीं टूटने दिया। बुलंद होंसलों से टूटते पहाड़ों के सामने सैन्जवासी चट्टान बनकर खड़े हो गए और तेजी से नए जीवनयापन यह दिखा दिया कि घाटी के मेहनतकश लोग हार मानने वालों में से नही है। सैंजवासी कहते हैं कि आपदा के लिए भयावह बरसात ही जिम्मेदार नहीं थी। यह कुदरत से छेड़छाड़ का दुष्परिणाम भी है।
घाटी के 149 मकान और 113 गौशालाएं लील गई थी बाढ़
बाढ़ से सैंज घाटी 149 रिहायशी मकान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए थे। किराए की दुकानों से जीवन यापन और किराए के कमरों में रह रहे 209 परिवारों को नुकसान पहुंचा। बाढ़ के कारण 360 मकान आंशिक रूप क्षतिग्रस्त हुए और 113 गौशाला पूर्ण रूप से बाढ़ की भेंट चढ गई, जबकि आंशिक रूप से 47 गौशाला को बाढ़ ने क्षति पहुंची। इसके अलावा 17 शैडों को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है और पूर्ण रूप से एक कैंपिंग साइट क्षतिग्रस्त हुई। बाढ से 70 घराटों का बाढ़ ने आस्तित्व मिटा दिया।
फिर बसने लगे घरोंदे और सजने लगे हाट-बाज़ार
बाढ़ की घटना में तरेहड़ा गांव की जयवंती का घर नदी में समा गया था और परिवार खुले आसमान के नीचे आ गया। जयवंती बुलंद हौंसलों के आगे नियती की एक न चली। उसने पडोस के गांव में नया घर तैयार कर लिया है। बाढ में अशोक कुमार का नया घर और दुकान बह गई थी। हिम्मत जुटाकर उन्होंने पारला बाजार सैंज में नई दुकान शुरू कर दी है। महेंद्र पाल का अलीशान मकान और हार्डवेयर की दुकान बाढ की भेंट चढ गई थी। करीब चार करोड से अधिक का नुकसान झेल चुके महेंद्र ने हौंसला टूटने नही दिया और नए सिरे से दुकानदारी शुरू कर मिसाल पेश की है। भागदासी, मनीष अरोडा, दुर्गा दास, जीवन, विजय, प्रदीप कुमार, द्वारिका गौतम सहित कई बाढ प्रभावित लोगों ने नई हाटें सजाकर बाढ के दंश को बौना साबित किया है।
सडकें और पूल बनने से मिली राहत
आपदा से तहस नहस हुई सैंज घाटी में प्रशासन ने राहत एवं पुनर्वास कार्य तेजी से शुरू किया। जर्जर हो चुकी सडकों को वाहन चलने योग्य बना दिया है। नौ झूले और तीन वैली ब्रिज लगाकर लोगों को राहत मिली है। सरकारी अमले ने तेजी से काम करते हुए सैंज घाटी में करोडों की राहत राशि बांटी। लेकिन सडकों की हालत अभी भी इतनी खराब है कि इस पर सफर करना मुश्किल है।
रिपोर्ट: हरिराम चौधरी
Posted By: Himachal News