Himachal News: ऊना जिले में मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत साल 2024 की पहली छमाही में 286 लाभार्थी बच्चों को 4-4 हजार रुपये की प्रथम किश्त के तौर पर 67.54 लाख रुपये की सामाजिक सुरक्षा राशि प्रदान की गई है। यह धनराशि 18 से 27 साल तक के अनाथ बच्चों को अप्रैल से सितंबर 2024 की अवधि के लिए दी गई है। यह जानकारी उपायुक्त जतिन लाल ने दी। वे मंगलवार को जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत जिले में लाभार्थी बच्चों की शिक्षा, कौशल विकास, स्वरोजगार और स्वावलंबन में सहायता के लिए इस साल अब तक 31 मामलों में 20.48 लाख रुपये से अधिक की धनराशि प्रदान की गई है। वहीं वित्त वर्ष 2023-24 में मिशन वात्सल्य के तहत स्पॉंसर स्कीम और आफ्टर केयर योजना में 155 मामलों में करीब 36 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।
उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को समूरकलां स्थित विशेष गृह में रह रहे बच्चों की सुरक्षा एवं सुविधा का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए। बैठक में जिले में बाल कल्याण और संरक्षण की दिशा में किए कार्यों की समीक्षा की गई।
सरकार बनी निराश्रितों का संबल
जतिन लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के माध्यम से 27 वर्ष की आयु तक अनाथ बच्चों की देखभाल का जिम्मा लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का इस ओर विशेष बल है कि सरकार निराश्रितों का संबल बने। इसके लिए कानून बनाकर प्रदेश के 6000 अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का दर्जा दिया गया है। अनाथ बच्चों को क्लोथ अलाउंस व त्यौहार मनाने के लिए भत्ता प्रदान किया जा रहा है। उनकी उच्च शिक्षा, रहने के खर्च के साथ ही हर महीने 4000 रुपये पॉकेट मनी भी राज्य सरकार की ओर से प्रदान की जा रही है। उनकी स्वास्थ्य देखभाल की जा रही है। बच्चों को नामी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने तथा घर बनाने के लिए 3 बिस्वा भूमि तथा 3 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का भी प्रावधान किया है।
चाइल्ड हेल्पलाइन पर आए 39 मामले
उपायुक्त ने बताया कि जिले में अप्रैल से जून के तीन महीने की अवधि में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 और 112 पर कुल 39 मामले प्राप्त हुए, जिन पर तुरंत कार्रवाई की गई। इनमें अप्रैल में 11, मई में 10 और जून में 18 मामले प्राप्त हुए। प्राप्त हुए मामलों में बाल मजदूरी के 7 मामले, बाल भिक्षावृत्ति के 3, बाल विवाह का 1, गुमशुदगी का 1, बाल स्वास्थ्य समस्या के 4 और शेल्टर निवेदन के 5 मामलों समेत बच्चों की सुरक्षा व कल्याण से जुड़े अन्य केस प्राप्त हुए।
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