किशन श्रीमान
Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए 84 दिनों तक सशस्त्र संघर्ष का नाम है। इस युद्ध में भारतीय वीर जवानों ने पाकिस्तान सेना के कब्जे से कारगिल की ऊंची चोटियों को आजाद कराया था।
26 जुलाई से कारगिल युद्ध को 25 साल हो गए हैं। इसी दिन भारत को इस युद्ध में विजय मिली थी। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया युद्ध भारतीय सेनाओं के पराक्रम की गाथा कहता है। कारगिल युद्द के दौरान भारत ने अपने 527 जवानों को खोया था। इस युद्द में 1363 जवान घायल हुए थे।
कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कारगिल युद्ध 3 मई, 1999 को भारत के जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में शुरू हुआ था। 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सशस्त्र बलों की जीत के साथ समाप्त हुआ। भारत की गौरवशाली विजय और 527 भारतीय जवानों का बलिदान इतिहास के पन्नों पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
पाकिस्तान ने तोड़ा था समझौता
1999 से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था कि दोनों ही देश के सैनिक सर्दियों में उन इलाकों में अपने जवानों की तैनाती नहीं करेंगे जहां पर बर्फ जमा होगी। भारत ने तो इस समझौते का पालन किया लेकिन पाकिस्तान ने धोखे के तहत सर्दियों में इन पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। इसमें द्रास, टाइगर हिल और कारगिल समेत कई अहम इलाकों पर वो पहुंच गए थे। करीब 134 किमी के दायरे में पाकिस्तानियों ने अपनी पैठ बना ली थी। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी।
Kargil Vijay Diwas: खोये ‘याक’ से हुआ साजिश का खुलासा
बात 2 मई, 1999 की है। ताशी नामग्याल नाम के एक चरवाहे थे। उस दिन उनका नया नवेला याक खो गया था। नामग्याल अपने याक की खोज में निकले। इसी दौरान उन्होंने कारगिल की पहाड़ियों में छिपे घुसपैठिये पाकिस्तानी सैनिकों को देखा। दरअसल, नामग्याल पहाड़ियों पर चढ़-चढ़कर देख रहे थे। वो कोशिश कर रहे थे कि कहीं उनका याक दिख जाए। इसी दौरान उन्हें अपना याक नजर आ गया। इस दौरान उन्हें याक के साथ जो कुछ दिखा वह कारगिल युद्ध की पहली घटना माना जाता है। 3 मई को उन्होंने इसकी जानकारी भारतीय सेना को दी।
Kargil Vijay Diwas: ऐसे हुई युद्ध की शुरुआत
वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरूआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने कारगिल की उंची पहाड़ियों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। लगभग 30,000 भारतीय सैनिक इस युद्ध में शामिल थे। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया।
Kargil Vijay Diwas: भारतीय सेना ने इन लड़ाकू अस्त्रों का किया प्रयोग
इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान करीब दो लाख पचास हजार गोले दागे गए। वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेटों का इस्तेमाल किया गया। युद्ध के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया। यह पहला ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया।
Kargil Vijay Diwas: भारत ने 2700 पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर, 527 वीर योद्धाओं को खोया
करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर भारतीय देशवासी को गर्व होना चाहिए। यह युद्ध उंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। करीब 18 हजार फीट की उंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वहीं 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे। युद्ध में 2700 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 750 पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था।
Kargil Vijay: युद्ध के बाद पाकिस्तान में बढ़ी आर्थिक अस्थिरता, भारत में बढ़ा देश प्रेम
पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज़ शरीफ़ की सरकार को हटाकर परवेज़ मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गए। दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफ़ी मजबूती मिली। भारतीय सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फ़िल्में बनीं जिनमें एल ओ सी कारगिल, लक्ष्य और धूप मुख्य हैं।
Kargil Vijay Diwas: कारगिल जंग पूरा घटनाक्रम
3 मई, 1999: एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचना दी।
5 मई, 1999: भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से 5 सैनिकों की बेरहमी से हत्या कर दी। जवानों के शव से बर्बरता भी की गई।
9 मई, 1999: पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया।
10 मई, 1999: पहली बार लदाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया। उस वक्त ये अंदाजा लगाया गया कि करीब 600 से 800 घुसपैठिये भारतीय चौकियों पर कब्जा कर चुके हैं।
15 मई, 1999: कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से सेना को भेजने की शुरुआत हुई।
19 मई, 1999: यह वो तारीख थी जिस दिन कारगिल युद्ध की एक तौर पर आधिकारिक शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई।
26 मई, 1999: ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च किया गया। भारतीय वायुसेना को कार्यवाही के लिए आदेश दिया गया।
27 मई, 1999: भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही के दौरान मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया।
28 मई, 1999: दो भारतीय लड़ाकू विमानों को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को पाकिस्तान ने युद्धबंदी बना लिया। वहीं, स्क्वॉड्रन लीडर अजय अहूजा ने सर्वोच्च बलिदान दे दिया। इसके बाद भारत ने रणनीति बदली। लड़ाकू विमानों की जगह हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करने का फैसला किया। इन हेलीकॉप्टरों ने पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाना शुरू किया। इस दौरान एक हेलीकॉप्टर खो दिया। इसके बाद भारत ने मिराज विमानों को मोर्चे पर लगाया। मिराज के हमलों से पाकिस्तानी सेना की कमर टूट गई।
31 मई, 1999: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान आया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं।
1 जून, 1999: एनएच- 1A पर पकिस्तान द्वारा भरी गोलाबारी की गई।
5 जून, 1999: पाकिस्तानी रेंजर्स से मिले कागजातों को भारतीय सेना ने अखबारों के लिए जरी किया, जिसमें पाकिस्तानी रेंजर्स के मौजूद होने का जिक्र था।
6 जून, 1999: भारतीय सेना ने पूरी ताकत से जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी।
9 जून, 1999: बाल्टिक क्षेत्र की 2 अग्रिम चौकियों पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमा लिया।
11 जून, 1999: भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफ और आर्मी चीफ लेफ्टीनेंट जनरल अजीज खान से बातचीत का रिकॉर्डिंग जारी किया, जिससे जिक्र है कि इस घुसपैंठ में पाक आर्मी का हाथ है।
13 जून, 1999: भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलिंग पर कब्जा कर लिया।
15 जून, 1999: अमेरिकी राष्ट्रपति बिल किलिंटन ने परवेज मुशर्रफ से फोन पर कहा कि वह अपनी फौजों को कारगिल सेक्टर से बहार बुला लें।
29 जून, 1999: भारतीय सेना ने टाइगर हिल के नजदीक दो महत्त्वपूर्ण चौकियों पोइंट 5060 और पोइंट 5100 को फिर से कब्जा लिया।
2 जुलाई, 1999: भारतीय सेना ने कारगिल पर तीन तरफ से हमला बोल दिया।
4 जुलाई, 1999: करीब 11 घंटे तक लगातार चली लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर पुनः कब्जा कर तिरंगा फहराया।
5 जुलाई, 1999: भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर पर पुनः कब्ज़ा किया। ये सेक्टर रणनीतिक रूप से बेहद अहम था। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने अमेरिका के राष्ट्रपति बिल किलिंटन को बताया कि वह कारगिल से अपनी सेना को हटा रहें है।
7 जुलाई, 1999: भारतीय सेना ने बटालिक में जुबर हिल पर कब्जा फिर से कब्जा जमाया। 7 जुलाई को ही एक अन्य ऑपरेशन के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा ने सर्वोच्च बलिदान दिया था।
11 जुलाई, 1999: पाकिस्तानी रेंजर्स ने बटालिक से भागना शुरू कर दिया। भारतीय सेना ने बाटलिक सेक्टर की लगभग सभी पहाड़ियों की चोटियों को फिर से अपने कब्जे में ले लिया।
12 जुलाई, 1999: युद्ध हारते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के सामने बातचीत की पेशकश की।
14 जुलाई, 1999: भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को भारतीय क्षेत्र से पूरी तरह से खदेड़ दिया। भारत ने अपने सभी इलाकों को वापस हासिल कर लिया। प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने ऑपरेशन विजय की जीत की घोषणा कर दी।
26 जुलाई 1999: कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के पूर्ण निष्कासन की घोषणा की।
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