केरल के वायनाड (Wayanad) वायनाड जिले में मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में मंगलवार को बारिश ने भयंकर तबाही मचाई है। यहां भयंकर बारिश से भारी भूस्खलन हुआ है। इस हादसे में अब तक 158 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 128 लोग घायल हुए हैं। जबकि 100 लोग अभी भी लापता हैं।
सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात वायनाड में जबरदस्त बारिश आफत बन गई। रात एक बजे से 5 बजे के बीच तीन बार भूस्खलन हुआ और इससे पहाड़ के नीचे चेलियार नदी के कैचमेंट में बसे चार खूबसूरत गांव चूरलमाला, अट्टामाला, नूलपुझा और मुंडक्कई में तबाही आ गई। बड़े-बड़े पत्थर और मलबे में गांव के गांव चपेट में आ गए। कुछ ही देर में सैकड़ों घर मलबे का ढेर बन गए।
हादसे में घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। वायनाड के WIMS अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। वहीं सेना का राहत व बचाव कार्य जारी है।
यहां बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला हुआ है। अभी भी सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है। स्थानीय आपदा मोचन बल के जवान राहत और बचाव कार्य चला रहे हैं। बारिश के कारण कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
लगातार हो रही बारिश की वजह से बचाव राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। मुंडक्कई और चूरलमाला के बीच का पुल टूटने की वजह से पूरा इलाका अलग-थलग पड़ गया है। मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है जिसकी वजह से हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। जमीन के रास्ते ही लोगों को बाहर निकालने की कोशिशें हो रही हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन लगातार हालात पर नजर बनाए रखे हुए हैं और उन्होंने प्राकृतिक आपदा को लेकर प्रधानमंत्री से भी बात की है। इसी बीच केरल के पांच जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।
केरल के मंत्री एम.बी. राजेश ने कहा, ‘अब तक 250 से अधिक लोगों को बचाया गया है और उन्हें अस्थायी आश्रय शिविरों में भेजा गया है। हम फंसे हुए लोगों को हवाई मार्ग से निकाल रहे हैं। बचाव अभियान के लिए सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।’
4 घंटे में ऐसे तबाह हो गए 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव
केरल में कुदरत की विनाशलीला देखकर हर कोई सहम गया है। सैलाब ने वायनाड में हाहाकार मचा दिया है। वायनाड को पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। ये समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां हरी-भरी वनस्पतियां, धुंध से ढकी पहाड़ियां और शुद्ध हवा इलाके को स्वर्ग बना देती हैं। लेकिन, आज हालात अलग हैं। चारों तरफ मलबा पसरा है और जगह-जगह सड़कें धंसी हैं। जो तस्वीरें आई हैं, वो वायनाड में हुई तबाही का मंजर बताने के लिये काफी हैं। वायनाड में जो चार गांव जमींदोज हुए हैं, उनमें मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा शामिल है। करीब 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव सिर्फ 4 घंटे में पूरी तरह तबाह हो गए हैं। चार घंटे में तीन जगह लैंडस्लाइड हुई और पहाड़ों से आया सैलाब चार गांवों को बहा ले गया। बड़े-बड़े पत्थर और मलबे में गांव के गांव चपेट में आ गए। कुछ ही देर में सैकड़ों घर मलबे का ढेर बन गए।
जो रात में सोया, सुबह मलबे में मिला
भूस्खलन से सैकड़ों लोग मलबे में दब गए। जो रात में सोया था, उसे उठने तक का मौका नहीं मिला और सुबह मलबे में मिला। चारों तरफ बर्बादी ने इन गांवों की खूबसूरती को उजाड़ दिया है। इन चारों गांव में ज्यादातर चाय बागान के मजदूर रहते हैं। करीब 22 हजार की आबादी है। रात एक बजे जब पहली बार भूस्खलन हुआ तब लोग अपने घरों में सो रहे थे। किसी को बचने या भागने तक का मौका नहीं मिला। उसके बाद सिलसिलेवार दो बार भूस्खलन हुआ। मलबे से ना सिर्फ घर और निर्माण तबाह हुए, बल्कि नींद में सो रहे लोग भी दब गए। इनमें जयादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं शामिल हैं।
50 किमी दूर तक मिले शव
अब मलबे को निकाला जा रहा है और उसमें कीचड़ से लथपथ या पत्थर के नीचे दबी लाशें मिल रही हैं। कुछ लाशें नदी में भी बहती दिखीं। भूस्खलन वाली जगह से 50 किलोमीटर दूर 10 शव मिले। बुधवार को भी चलियार नदी से दो और शव बरामद हुए। मुंडाकाई में 8 और शव बरामद किए गए। वायनाड में इसे सबसे बड़ी त्रासदी माना जा रहा है।
केरल में 6 साल आई बाढ़ में मरे थे 483 लोग
केरल में भूस्खलन की भयानक घटनाएं पहले भी देखने को मिली चुकी हैं। भीषण मौसमी घटनाओं से केरल में बीते छह सालों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, 2015 से 2022 के बीच देश में सबसे ज्यादा भूस्खलन की घटनाएं केरल में हुईं। मंत्रालय के मुताबिक, इस अवधि में देश में भूस्खलन की 3782 घटनाएं हुई जिनमें से 2,239 घटनाएं केरल में हुईं।
2018: अगस्त 2018 में आई प्राकृतिक आपदा में केरल के दस जिलों 341 बड़े भूस्खलन हुए। इसमें से अकेले इडुकी में 143 भूस्खलन आए थे। इन हादसों में 483 लोगों की मौत हो गई थी। इस आपदा को राज्य की ‘सदी की बाढ़’ कहा गया था। इस त्रासदी में संपत्ति और आजीविका भी बड़े स्तर पर नष्ट हो गई थी। केंद्र सरकार ने 2018 की बाढ़ को ‘डिजास्टर ऑफ सीरियस नेचर’ घोषित किया था। इस हादसे के बाद 3.91 लाख परिवारों के 14.50 लाख से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में पुनर्वासित किया गया था। कुल 57,000 हेक्टेयर कृषि फसलें नष्ट हो गईं थीं।
2019: साल 2019 में केरल में एक और आपदा आई। केरल के आठ जिलों में सिर्फ तीन दिन में 80 भूस्खलन की घटनाएं हुईं, इसमें 120 लोग मारे गए थे। यह स्थान 30 जुलाई 2024 को हुए भूस्खलन क्षेत्रों से लगभग 10 किलोमीटर दूर है।
2021: लगातार बारिश के कारण अक्टूबर 2021 में केरल में फिर भूस्खलन हुआ, जिससे राज्य के इडुक्की और कोट्टायम जिलों में 35 लोगों की मौत हो गई थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारी वर्षा और बाढ़ से संबंधित घटनाओं से केरल में 53 लोगों की मौत हो गई है।
2022: भारी बारिश के कारण केरल में अगस्त 2022 को भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी। सैकड़ों संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और हजारों लोगों को राहत शिविरों में विस्थापित होना पड़ा था।
केरल में दो दिनों के लिए शोक की घोषणा, राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका
वायनाड में हुए भूस्खलन के बाद हुई भीषण तबाही और बड़ी संख्या में लोगों की मौत के बाद राज्य सरकार ने राज्य में दो दिनों के लिए शोक की घोषणा की है। शोक के मद्देनजर राज्य विधानसभा में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ है।
भारी बारिश का रेड अलर्ट
वहीं मौसम विभाग के अनुसार वायनाड में आने वाले कुछ दिन और खराब हो सकते हैं। मौसम विभाग ने वायनाड के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जबकि पड़ोसी मलप्पुरम, कोझिकोड और कनूर जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। तेज बारिश के कारण बचाव अभियान प्रभावित हो सकता है।
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