Navratri 2024 7th Day: शक्ति की आराधना के महापर्व शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। माता कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है। अपने महाविनाशक गुणों से शत्रुओं और दुष्टों का संहार करने वाली मां नवदुर्गा के इस स्वरूप का नाम कालरात्रि पड़ा।
माता कालरात्रि की विधिवत रूप से पूजा अर्चना और उपवास करने से मां अपने भक्तों को सभी बुरी शक्तियां और काल से बचाती हैं अर्थात माता की पूजा करने के बाद भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। माता के इसी स्वरूप से सभी सिद्धियां प्राप्त होती है इसलिए तंत्र मंत्र करने वाले माता कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा अर्चना करते हैं। माता कालरात्रि को निशा की रात भी कहा जाता है। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी कहा जाता है।
नवरात्रि की सप्तमी तिथि की पूजा सुबह में अन्य दिनों की तरह ही होती है लेकिन रात्रि में माता की विशेष पूजा भी की जाती है।
Navratri 2024 7th Day: मां कालरात्रि की पूजा के लिए मुहूर्त और शुभ समय
नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि के पूजन का दिन होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल 9 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का 7वां दिन है। नवरात्रि का 7वां दिन सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन मास की सप्तमी तिथि की शुरुआत 09 अक्टूबर बुधवार को प्रातः 11: 45 बजे से 12:30 बजे तक होगा। यह पूजन का शुभ मुहूर्त है।
Navratri 2024 7th Day: मां कालरात्रि का स्वरूप
मां के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को बहुत ही विकराल बताया गया है। मां कालरात्रि का वर्ण काला है, तीन नेत्र हैं, केश खुले हुए हैं, गले में मुंड की माला है और वे गर्दभ की सवारी करती हैं। आकृति और सांसारिक स्वरूप में यह कालिका की अवतार, यानी काले रंग रूप और अपनी विशाल केश राशि को फैलाकर चार भुजाओं वाली दुर्गा हैं, जो वर्ण और देश में अर्द्धनारीश्वर शिव की तांडव मुद्रा में नजर आती हैं।
इनकी आंखों से अग्नि की वर्षा होती है। एक हाथ में शत्रुओं की गर्दन पकड़कर और दूसरे हाथ में खड़क तलवार से युद्ध स्थल में उनका नाश करने वाली कालरात्रि अपने विराट रूप में नजर आती हैं। इनकी सवारी गर्दभ यानि गधा है, जो समस्त जीव-जन्तुओं में सबसे ज्यादा परिश्रमी और निर्भय होकर अपनी अधिष्ठात्री देवी कालरात्रि को लेकर इस संसार में विचरण करा रहा है।
Navratri 2024 7th Day: मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मां कालरात्रि की विधिवत पूजा अर्चना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और भूत प्रेत समेत सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को आशीष प्रदान करती हैं और शत्रुओं व दुष्टों का संहार कर सभी दुख दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। इस रात सवा लाख बार इस मंत्र का जप करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि माता की पूजा करने से साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थित होता है।
Navratri 2024 7th Day: मां कालरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा अन्य दिनों की तरह ही की जाती है। मां कालरात्रि की पूजा सुबह और रात्रि के समय में भी की जाती है। माता कालरात्रि की पूजा लाल कंबल के आसान पर करें। माता की तस्वीर या प्रतिमा के साथ आसपास की जगहों पर गंगाजल से छिड़काव करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं। इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि चीजें अर्पित करें। साथ ही अगर आप अग्यारी करते हैं तो लौंग, बताशा, हवन सामग्री अर्पित करें। पूजा के समय माता को 108 गुलदाउदी फूलों से बनी माला अर्पित करें।
मां कालरात्रि को रातरानी के फूल चढ़ाएं जाते हैं। इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें। आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं और मां दुर्गा के मंत्रों का भी जप करें। लाल चंदन की माला से मंत्रों का जप करें। अगर लाल चंदन नहीं है तो रुद्राक्ष की माला से भी जप कर सकते हैं।
Navratri 2024 7th Day: मां कालरात्रि का भोग
महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें जैसे मालपुआ का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा आप माता को गुड़ से बनी मिठाई और हलवा आदि का भी भोग लगा सकते हैं। इन चीजों का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
Navratri 2024 7th Day: मां कालरात्रि का मंत्र
ॐ कालरात्र्यै नम:।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
मां कालरात्रि पूजा मंत्र
‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊँ कालरात्रि दैव्ये नम:
Navratri 2024 7th Day: मां कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली मां जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय॥
Navratri 2024 7th Day: माता कालरात्रि की व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार एक रक्तबीज का नाम राक्षस था। रक्तबीज ने सभी लोकों में हाहाकार मचा रखा था। रक्तबीज दानव की यह विशेषता थी कि जैसे ही उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती थी, तो उसके जैसा एक और दानव बन जाता था। इससे चिंतित होकर सभी देवी देवता महादेव के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना करने लगे।
भगवान शिव ज्ञाता हैं, उनसे कोई बात छिपी नहीं रहती है। भगवान शिव ने कहा कि इस राक्षस का अंत तो केवल मां दुर्गा ही कर सकती हैं। भगवान शिव ने माता दुर्गा से अनुरोध किया।
इसके बाद माता दुर्गा ने खुद शक्ति और तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा, तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त से लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए। यह देखकर मां दुर्गा को भयंकर क्रोध आ गया। क्रोध की वजह से मां का वर्ण श्यामल हो गया था। उसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इसी श्यामल स्वरूप से देवी कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। तभी से माता दुर्गा के इस स्वरूप का नाम माता कालरात्रि पड़ा।
जय मां कालरात्रि
Posted By: Himachal News
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