Wayanad landslides: केरल के वायनाड जिले में मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन से हुई भयंकर तबाही में अब तक 256 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने की भी खबर है। अभी भी सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है। अभी तक 3 हजार से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया गया है। यहां बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला हुआ है। सेना का राहत व बचाव कार्य जारी है।
सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात वायनाड में हुई जबरदस्त बारिश आफत बन गई। रात एक बजे से 5 बजे के बीच तीन बार भूस्खलन हुआ और इससे पहाड़ के नीचे चेलियार नदी के कैचमेंट में बसे चार खूबसूरत गांव चूरलमाला, अट्टामाला, नूलपुझा और मुंडक्कई में तबाही आ गई। बड़े-बड़े पत्थर और मलबे में गांव के गांव चपेट में आ गए। कुछ ही देर में सैकड़ों घर मलबे का ढेर बन गए।
Wayanad landslides: सेना ने संभाली कमान
भारतीय सेना ने वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान तेज कर दिया है। सेना ने भूस्खलनों के बाद फंसे लोगों को बचाने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। चिकित्सा कर्मचारियों सहित लगभग 500 कर्मियों को तैनात किया गया है। सेना द्वारा अब तक लगभग 1,592 लोगों को बचाया गया है। भारी बारिश के बीच कीचड़, चट्टानों और पेड़ों के बड़े-बड़े टुकड़ों की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चूरलमाला को मुंडक्कई के बीच जो पुल ढह गया था उसे सेना के जवान फिर से बनाने में जुटे हैं जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आ सके। उम्मीद है कि आज दोपहर तक चूरलमाला को मुंडक्कई से जोड़ने वाला 190 फीट का यह पुल बनकर तैयार हो जाएगा।
Wayanad landslides: 4 घंटे में ऐसे तबाह हो गए 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव
केरल में कुदरत की विनाशलीला देखकर हर कोई सहम गया है। सैलाब ने वायनाड में हाहाकार मचा दिया है। वायनाड को पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। ये समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां हरी-भरी वनस्पतियां, धुंध से ढकी पहाड़ियां और शुद्ध हवा इलाके को स्वर्ग बना देती हैं। लेकिन, आज हालात अलग हैं। चारों तरफ मलबा पसरा है और जगह-जगह सड़कें धंसी हैं। जो तस्वीरें आई हैं, वो वायनाड में हुई तबाही का मंजर बताने के लिये काफी हैं। वायनाड में जो चार गांव जमींदोज हुए हैं, उनमें मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा शामिल है। करीब 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव सिर्फ 4 घंटे में पूरी तरह तबाह हो गए हैं। चार घंटे में तीन जगह लैंडस्लाइड हुई और पहाड़ों से आया सैलाब चार गांवों को बहा ले गया। बड़े-बड़े पत्थर और मलबे में गांव के गांव चपेट में आ गए। कुछ ही देर में सैकड़ों घर मलबे का ढेर बन गए।
Wayanad landslides: जो रात में सोया, सुबह मलबे में मिला
भूस्खलन से सैकड़ों लोग मलबे में दब गए। जो रात में सोया था, उसे उठने तक का मौका नहीं मिला और सुबह मलबे में मिला। चारों तरफ बर्बादी ने इन गांवों की खूबसूरती को उजाड़ दिया है। इन चारों गांव में ज्यादातर चाय बागान के मजदूर रहते हैं। करीब 22 हजार की आबादी है। रात एक बजे जब पहली बार भूस्खलन हुआ तब लोग अपने घरों में सो रहे थे। किसी को बचने या भागने तक का मौका नहीं मिला। उसके बाद सिलसिलेवार दो बार भूस्खलन हुआ। मलबे से ना सिर्फ घर और निर्माण तबाह हुए, बल्कि नींद में सो रहे लोग भी दब गए। इनमें जयादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं शामिल हैं।
Wayanad landslides: 50 किमी दूर तक मिले शव
अब मलबे को निकाला जा रहा है और उसमें कीचड़ से लथपथ या पत्थर के नीचे दबी लाशें मिल रही हैं। कुछ लाशें नदी में भी बहती दिखीं। भूस्खलन वाली जगह से 50 किलोमीटर दूर 10 शव मिले। बुधवार को भी चलियार नदी से दो और शव बरामद हुए। मुंडाकाई में 8 और शव बरामद किए गए। वायनाड में इसे सबसे बड़ी त्रासदी माना जा रहा है।
Wayanad landslides: सीएम विजयन का बयान
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “दो दिवसीय बचाव अभियान में 1,592 लोगों को बचाया गया, जिन्हें सात शिविरों में भेजा गया है। दो सौ एक लोगों को बचाकर अस्पताल ले जाया गया, जिनमें से 90 का अभी इलाज चल रहा है। वायनाड जिले में 82 राहत शिविरों में फिलहाल 8,017 लोग रह रहे हैं इनमें 19 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। मेप्पाडी में आठ शिविर हैं, जहां 421 परिवारों के 1,486 लोग रह रहे हैं। इतने कम समय में इतने लोगों को बचाने के लिए समन्वित और व्यापक अभियान की यह उपलब्धि है।”
Wayanad landslides: राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हुए वायनाड के लिए रवाना
इस बीच आज लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी नई दिल्ली से वायनाड के लिए रवाना हो गए हैं। वह अपने संसदीय क्षेत्र की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां पहुंच रहे हैं। उनके साथ प्रियंका गांधी भी जा रही हैं। दोनों आपदा प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेंगे।
Wayanad landslides: भारी बारिश का रेड अलर्ट
वहीं मौसम विभाग के अनुसार वायनाड में आने वाले कुछ दिन और खराब हो सकते हैं। मौसम विभाग ने वायनाड के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जबकि पड़ोसी मलप्पुरम, कोझिकोड और कनूर जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
केरल में 6 साल आई बाढ़ में मरे थे 483 लोग
केरल में भूस्खलन की भयानक घटनाएं पहले भी देखने को मिली चुकी हैं। भीषण मौसमी घटनाओं से केरल में बीते छह सालों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, 2015 से 2022 के बीच देश में सबसे ज्यादा भूस्खलन की घटनाएं केरल में हुईं। मंत्रालय के मुताबिक, इस अवधि में देश में भूस्खलन की 3782 घटनाएं हुई जिनमें से 2,239 घटनाएं केरल में हुईं।
2018: अगस्त 2018 में आई प्राकृतिक आपदा में केरल के दस जिलों 341 बड़े भूस्खलन हुए। इसमें से अकेले इडुकी में 143 भूस्खलन आए थे। इन हादसों में 483 लोगों की मौत हो गई थी। इस आपदा को राज्य की ‘सदी की बाढ़’ कहा गया था। इस त्रासदी में संपत्ति और आजीविका भी बड़े स्तर पर नष्ट हो गई थी। केंद्र सरकार ने 2018 की बाढ़ को ‘डिजास्टर ऑफ सीरियस नेचर’ घोषित किया था। इस हादसे के बाद 3.91 लाख परिवारों के 14.50 लाख से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में पुनर्वासित किया गया था। कुल 57,000 हेक्टेयर कृषि फसलें नष्ट हो गईं थीं।
2019: साल 2019 में केरल में एक और आपदा आई। केरल के आठ जिलों में सिर्फ तीन दिन में 80 भूस्खलन की घटनाएं हुईं, इसमें 120 लोग मारे गए थे। यह स्थान 30 जुलाई 2024 को हुए भूस्खलन क्षेत्रों से लगभग 10 किलोमीटर दूर है।
2021: लगातार बारिश के कारण अक्टूबर 2021 में केरल में फिर भूस्खलन हुआ, जिससे राज्य के इडुक्की और कोट्टायम जिलों में 35 लोगों की मौत हो गई थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारी वर्षा और बाढ़ से संबंधित घटनाओं से केरल में 53 लोगों की मौत हो गई है।
2022: भारी बारिश के कारण केरल में अगस्त 2022 को भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी। सैकड़ों संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और हजारों लोगों को राहत शिविरों में विस्थापित होना पड़ा था।
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