Chamba: हिमाचल प्रदेश का एक बहुत ही खूबसूरत जिला है। रावी नदी के किनारे स्थित ये शहर चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से ढका हुआ है। चंबा अपने प्राचीन मंदिरों और हैंडीक्राफ्ट के लिए विश्वविख्यात है। चम्बा भगवान शिव की भूमि अपने अनछुए प्राकृतिक सौदंर्य के लिए प्रसिद्ध हैं।
चंबा आकर्षक पर्यटन स्थल है, इसकी उतम प्राकृतिक सुन्दरता के लिये जाना जाता है। यह जगह, सुरम्य और सफेद घाटियों के बीच स्थित है, पर्यटकों द्वारा वर्ष भर मे दौरा किया जाता हैं। पहाड़ो की उप-हिमालय श्रृंखला, विविध, वनस्पतियों और जीवों से भरा है। चारों ओर से ऊंची पहाड़ियों से घिरे चंबा ने प्राचीन संस्कृति और विरासत को संजो कर रखा है। प्राचीन काल की अनेक निशानियां चंबा में देखी जा सकती हैं।
चंबा का इतिहास
रवि नदी के किनारे 996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंबा पहाड़ी राजाओं की प्राचीन राजधानी थी। चंबा को राजा साहिल वर्मन ने 920 ई. में स्थापित किया था। इस नगर का नाम उन्होंने अपनी प्रिय पुत्री चंपावती के नाम पर रखा।कहा जाता है कि राजकुमारी चंपावती हर दिन शिक्षा के लिए एक साधु के पास जाती थी। इससे राजा को शक हो गया और वो एक दिन राजकुमारी के पीछे-पीछे आश्रम पहुंच गया। वहां उसे कोई नहीं मिला, लेकिन उसे शक करने की सजा मिली और उससे उसकी बेटी छीन ली गई। आसमान में आकाशवाणी हुई कि प्रायश्चित करने के लिए राजा को यहां मंदिर बनवाना होगा। राजा ने चौगान मैदान के पास एक सुंदर मंदिर बनवाया। चंपावती मंदिर को लोग चमेसनी देवी के नाम से पुकारते हैं।
चंबा का दिल है चौगान
चंपावती मंदिर के सामने एक विशाल मैदान है, जिसे चौगान कहते हैं। एक तरह से चौगान चंबा शहर का दिल है। किसी समय चौगान का यह मैदान बहुत बड़ा था लेकिन बाद में इसे पांच हिस्सों में बांट दिया गया। मुख्य मैदान के अलावा अब यहां चार छोटे-छोटे मैदान हैं। चौगान मैदान में ही हर साल जुलाई में चंबा का मशहूर पिंजर मेला लगता है। चंबा के आसपास कुल 75 प्राचीन मंदिर हैं। इन मंदिरों में प्रमुख लक्ष्मीनारायण मंदिर, हरिराय मंदिर, चामुंडा मंदिर हैं।
Chamba: लक्ष्मीनारायण मंदिर
चंबा का लक्ष्मीनारायण मंदिर पांरपरिक वास्तुकारी और मूर्तिकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। चंबा के 9 प्रमुख मंदिरों में यह मंदिर सबसे विशाल और प्राचीन है। कहा जाता है कि सबसे पहले यह मन्दिर चम्बा के चौगान में स्थित था परन्तु बाद में इस मन्दिर को राजमहल के साथ स्थापित कर दिया गया। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर राजा साहिल वर्मन ने 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। चंबा के आसपास कुल 75 प्राचीन मंदिर हैं। इन मंदिरों में प्रमुख लक्ष्मीनारायण मंदिर, हरिराय मंदिर, चामुंडा मंदिर हैं।
Chamba: भूरी सिंह संग्रहालय
किसी भी शहर के इतिहास को जानने के लिए यहां के म्यूजियम को जरूर देखना चाहिए। बेशक चंबा का भूरी सिंह म्यूजियम छोटा है, पर इसका प्रबंधन बेजोड़ है। इस म्यूजियम के प्रथम तल पर मिनिएचर पेंटिंग की सुंदर गैलरी है। इसमें गुलेर शैली की बनी पेंटिंग लगाई गई हैं। यहां चंबा शहर की पुरानी ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें भी देखी जा सकती हैं।
चंबा के त्यौहार
चंबा शहर में दो प्रसिद्ध त्योहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाये जाते हैं। जिसमें से पहला सूही माता मेला है जो चार दिनों तक मार्च-अप्रैल के दौरान आयोजित किया जाता है। यह मेला चंबा की रानी के बलिदान के स्मरण के रूप में आयोजित किया जाता है। चंबा में मनाया जाने वाला अन्य प्रसिद्ध त्योहार मिंजर मेला है तो जुलाई के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है। इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। लेकिन अब चौगान तीन चार हिसों में बंट चूका है।
चंबा में शॉपिंग
चंबा के शाल भी कुल्लू शाल की तरह की सुंदर होते हैं। चंबा शहर में घूमते हुए आप चंबा की बनी हुई खूबसूरत जूतियां खरीद सकते हैं। ये जूतियां महिलाओं के लिए खास तौर पर बनाई जाती हैं। चंबा शहर के मुख्य बाजार में दुकानों में खरीदारी करते समय थोड़ा बहुत मोल-भाव किया जा सकता है।
Chamba: कैसे पहुंचे
अगर आप चंबा के लिए हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहां के निकटतम हवाई अड्डों में पठानकोट (120 किलोमीटर), अमृतसर (220 किलोमीटर), कांगड़ा (172 किलोमीटर) और चंडीगढ़ (400 किलोमीटर) हैं। आपको इन सभी हवाई अड्डों से चंबा जाने के लिए बसें और कैब आसानी से उपलब्ध हैं। वहां से आप बस या टैक्सी से चंबा पहुंच सकते हैं। पठानकोट रेलवे स्टेशन पहुंचकर भी वहां से आगे की यात्रा बस और कैब से कर सकते हैं।