Lalita Panchami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास शुक्ल पक्ष यानी शरद नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता के साथ मां सती के स्वरूप ललिता देवी की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन कामदेव की राख से उत्पन्न राक्षस भंडासुर का संहार करने के लिए देवी ललिता अग्नि से प्रकट हुई थीं। गुजरात एवं महाराष्ट्र में इस पर्व का विशेष महत्व है, जबकि दक्षिण भारत में देवी ललिता को देवी चंडी के नाम से जाना और पूजा जाता है। मां ललिता देवी को कामेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है।
कहा जाता है कि इस दिन देवी ललिता को समर्पित वैदिक मंत्रों का जाप एवं विधिवत पूजा करने से व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक समस्याएं हल हो जाती हैं। इस वर्ष ललिता पंचमी का व्रत 7 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा।
Lalita Panchami 2024: ललिता पंचमी 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास शुक्ल पक्ष पंचमी प्रारंभः 09.47 AM (07 अक्टूबर 2024, सोमवार)
आश्विन मास शुक्ल पक्ष पंचमी समाप्तः 11.17 AM (08 अक्टूबर 2024, मंगलवार)
Lalita Panchami 2024: कौन हैं ललिता देवी?
ललिता शब्द का आशय है चंचल, आकर्षक, वांछनीय एवं सुलभ। ललिता देवी का वर्णन ब्रह्मांड पुराण के ललितोपाख्यान में किया गया है। देवी ललिता त्रिपरसुंदरी आद्या शक्ति का साकार रूप हैं, वह निर्विवाद सर्वोच्च शक्ति हैं। वह देवताओं और भक्तों की रक्षार्थ और कामदेव की राख से उत्पन्न महाबलशाली राक्षस भंडासुर का संहार करने के लिए ज्ञान की अग्नि चिदग्निकुंड संभूत से प्रकट हुईं।
प्रचलित कथाओं के अनुसार उनसे खरबों ग्रह, तारे, आकाश गंगाएं, ब्रह्माण्ड, शिव, ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र, अग्नि और वरुण, मनुष्य, पशु, पक्षी, सूक्ष्मतम जीवों जैसे उत्पन्न उत्पन्न होते हैं। देवी ललिता श्री कामेश्वर और अपनी अन्य प्रजा के साथ मणिद्वीप में निवास करती हैं।
Lalita Panchami 2024: ललिता पंचमी का महत्व
शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन ललिता देवी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत एवं पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही दिक्कतें अथवा रुकावट दूर होती हैं। तमाम रोग और कष्टों से मुक्ति मिलती है, जातक की उम्र लंबी होती है, संतान-सुख की प्राप्ति होती है। जातक जीवन के सारे सुख भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त करता है।
Lalita Panchami 2024: पूजा-विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां देवी ललिता की पूजा से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। ललिता पंचमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनें। देवी ललिता का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थल पर एक स्वच्छ चौकी रखें, इस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें, तत्पश्चात देवी ललिता की प्रतिमा अथवा तस्वीर के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें। इस मंत्र का जाप करते हुए पूजा प्रारंभ करें।
‘ॐ श्री ललिता त्रिपुरसुंदरियै देव्यै नमः’
अब देवी को रोली, सिंदूर, पान, सुपारी अर्पित करें। भोग में मिठाई एवं फल चढ़ाएं। इस दिन देवी ललिता को केसर की खीर चढ़ाने की भी परंपरा है। इसके पश्चात देवी की आरती उतारकर प्रसाद वितरित करें। इसके बाद व्रत का पारण करें।
– हरि ॐ
Posted By: Himachal News
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