ज्योतिषाचार्य पं. महेंद्र कुमार शर्मा
Navratri 2024: नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन एक शक्ति की पूजा का विधान है। सृष्टि की संचालिका कही जाने वाली आदिशक्ति की नौ कलाएं (विभूतियां) नवदुर्गा कहलाती हैं। ‘मार्कण्डेय पुराण’ में नवदुर्गा का शैलपुत्री, बह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के रूप में उल्लेख मिलता है। नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन के बिना भगवती महाशक्ति कभी प्रसन्न नहीं होतीं।
Navratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) से शुरू होकर 11 अक्टूबर को समाप्त होंगे। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान भक्त व्रत के नियमों का पालन करते हैं और माता को प्रसन्न करने के हर संभव तरीके अपनाते हैं।
Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा के साथ नौ दिनों का त्योहार शुरू होता है। नौवें दिन नवमी पूजन के साथ नवरात्रि समाप्त हो जाती है और अगले दिन देवी मां को विसर्जित किया जाता है।
Navratri 2024: कलश स्थापना
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना कर नवरात्रि की शुरुआत होती है। पंचांग के मुताबिक, इस साल 3 अक्तूबर को 12 बजकर 19 मिनट से लेकर 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बज कर 58 मिनट तक प्रतिपदा तिथि रहेगी। उदया तिथि के मुताबिक, 3 अक्तूबर यानी गुरुवार को कलश स्थापना कर शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ किया जाएगा।
Navratri 2024: अखंड ज्योति जलाने का महत्व
नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित करना का खास महत्व है। इसके बिना नवरात्रि पूजा की शुरुआत अधूरी मानी जाती है। प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति जरूर जलानी चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं. महेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, नवरात्रि में अखंड ज्योति को जिंदगी से अंधेरे को दूर करने का प्रतीक माना गया है। अखंड ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहे। यदि ये बीच में ही किसी दिन बुझ जाए तो मां दुर्गा से मांफी मांगकर दोबारा दीपक को जला सकते हैं।
Navratri 2024: जानिए एक साल में कितनी बार आते हैं नवरात्रि
नवरात्रि नौ दिनों का महापर्व है। सवंत्सर (वर्ष) में यूं तो चार नवरात्रि आती है। चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी पर्यंत नौ दिन नवरात्रि कहलाते है। इनमें दो नवरात्रि चैत्र (वासंतिक) नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि सबसे प्रचलित है। दो गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से तंत्र साधक करते हैं क्योंकि गुप्त नवरात्रि में देवी की दस महाविद्याओं की साधना होती है। शारदीय और चैत्र नवरात्रि में नौ रूपों की पूजा होती है। चैत्र नवरात्रि के अंत में रामनवमी आती है और शारदीय नवरात्रि के अंत में दुर्गा महानवमी इसलिए इन्हें राम नवरात्रि और देवी नवरात्र भी कहते है।
Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का अध्यात्मिक महत्व
शारदीय नवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है। इसी कारण बंगाल में दुर्गा पूजा मुख्यतः शारदीय नवरात्रि में ही होती है। ऋृग्वेद में शारदीय शक्ति दुर्गा पूजा का उल्लेख मिलता है। बंगाल में विशाल प्रतिमाओं में सप्तमी, अष्टमी और महानवमी को दुर्गापूजा होती है। जगन्माता को यहां कन्या रूप से अपनाया गया है, मानो विवाहिता पुत्री पति के घर से पुत्र सहित तीन दिन के लिए माता-पिता के पास आती है। मां दस भुजाओं में दस प्रकार के आयुध धारण कर शेर पर सवार होकर, महिषासुर कें कंधे पर अपना एक चरण रखे त्रिशूलद्वारा उसका वध कर रही होती है।
Navratri 2024: श्रीराम चंद्र के अनुष्ठान
शारदीय शक्ति पूजा को विशेष लोकप्रियता त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम चंद्र के अनुष्ठान से भी मिली। देवी भागवत में भगवान श्रीरामचंद्र द्वारा किए गए शारदीय नवरात्रि के व्रत तथा शक्ति पूजन का सुविस्तृत वर्णन मिलता है। इसके अनुसार, श्रीराम की शक्ति पूजा सम्पन्न होते ही जगदंबा प्रकट हो गई थीं। शारदीय नवरात्रि के व्रत का पारण करके दशमी के दिन श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई कर दी। रावण का वध करके कार्तिक कृष्ण अमावस्या को श्रीरामचंद्र माता सीता को लेकर अयोध्या लौट आए थे।
Navratri 2024: नवरात्रि में कन्या पूजन
माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन के बिना भगवती महाशक्ति कभी प्रसन्न नहीं होतीं। कन्या पूजन के माध्यम से ऋषि-मुनियों ने हमें स्त्री वर्ग के सम्मान की ही शिक्षा दी है। नवरात्रि में देवी भक्तों को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह आजीवन बच्चियों और महिलाओं को सम्मान देगा और उनकी सुरक्षा के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेगा। तभी सही मायनों में नवरात्र की शक्ति पूजा संपन्न होगी। तभी हमारा और समाज में भी जागरण होगा।
Navratri 2024 पहला दिन 3 अक्टूबर: मां शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित होता है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। सबसे पहले कलश स्थापना पूजा होती है और मां दुर्गा को भी प्रतिष्ठित करने के बाद ही उनके शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है। मां शैलपुत्री की सवारी गाय है इसलिए उन्हें गाय के दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाया जाता है। पंचामृत के अलावा आप देवी शैलपुत्री को खीर, दूध से बनी बर्फी, हलवे का भी प्रसाद चढ़ा सकते हैं। दूध से बनी बर्फी आप व्रत के दौरान भी खा सकते हैं।
Navratri 2024 दूसरा दिन 4 अक्टूबर: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।
Navratri 2024 तीसरा दिन 5 अक्टूबर: मां चंद्रघंटा की पूजा
नवरात्रि के तीसरा दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करती है।
Navratri 2024 चौथा दिन 6 अक्टूबर: मां कूष्मांडा की पूजा
नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की आराधना की जाती है।
Navratri 2024 पांचवा दिन 7 अक्टूबर – मां स्कंदमाता की पूजा
नवरात्रि का पांचवा दिन माता स्कंदमाता को समर्पित होता है।
Navratri 2024 छठा दिन 8 अक्टूबर: मां कात्यायनी की पूजा
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। यह देवी का सबसे शक्तिशाली स्वरूप होता है। इन्हें युद्ध की देवी के नाम से भी जाना जाता है। माता के इसी स्वरूप ने महिषासुर का वध भी किया था।
Navratri 2024 सातवां दिन 9 अक्टूबर – मां कालरात्रि की पूजा
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनके नाम का मतलब है- काल की मृत्यु। इस स्वरूप को राक्षसों का नाश करने वाला माना जाता है। माता के इस रूप को सांवले और निडर रूप में दर्शाया गया है।
Navratri 2024 आठवां दिन 10 अक्टूबर: मां महागौरी की पूजा
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।
Navratri 2024 नौवां दिन 11 अक्टूबर: मां सिद्धिदात्री की पूजा
नवरात्रि के आखिरी दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता सिद्धिदात्री शक्ति प्रदान करने वाली देवी मानी जाती है।
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः, पापात्मनां कृतघियां हृदयेषुवृद्धिः।
श्रद्धा सतांकुलजन प्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नताः स्म परिणालय देवी विश्वम्।।
अर्थात: जो देवी पुण्यात्माओं के घरों में स्वयं ही लक्ष्मी रूप से, पापियों के यहां दरिद्रतारूप से, शुद्धान्तःकरण वाले पुरुषों के हृदयों में बुद्धिरूप से सत्पुरुषों में श्रद्धारूप से और कुलीन मनुष्यों में लज्जारूप से निवास करती है, उन आप भगवती को हम सब श्रद्धापूर्वक नमन करते है। हे पराम्बा! समस्त विश्व का कल्याण कीजिए।
Posted By: Himachal News
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। लेख में बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। हिमाचल न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।