Navratri 2024 5th Day: 7 अक्टूबर को नवरात्रि का पांचवा दिन है। शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन पंचमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन मास की पंचमी तिथि की शुरुआत 07 अक्टूबर सोमवार को प्रातः 09.47 बजे से होगी जिसका समापन 08 अक्टूबर मंगलवार को प्रातः 11.17 बजे होगा। नवरात्रि का पांचवा दिन मां नवदुर्गा के पांचवें स्कंदमाता को समर्पित है।
प्रेम और ममता की मूर्ति स्कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है और दीर्घायु प्रदान करती हैं। भगवती पुराण में स्कंदमाता को लेकर ऐसा कहा गया है कि नवरात्र के पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा करने से ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मां ज्ञान, इच्छाशक्ति, और कर्म का मिश्रण हैं। जब शिव तत्व का शक्ति के साथ मिलन होता है तो स्कंद यानी कि कार्तिकेय का जन्म होता है।
Navratri 2024 5th Day: इसलिए कहलाईं स्कंदमाता
भगवान शिव की अर्द्धांगिनी के रूप में मां ने स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। स्वामी कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है। देव स्कन्द कुमार यानि कि कार्तिकेय जी की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता का नाम प्राप्त हुआ है। इसलिए मां दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता कहा गया है, जो कि प्रेम और वात्सल्य की मूर्ति हैं।
Navratri 2024 5th Day: मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां स्वरूप स्कंदमाता देवी की चार भुजाएं हैं। स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय अपने बाल रूप में बैठें हैं। दाहिनी ऊपरी भुजा में इन्होंने स्कन्द देव को गोदी ले रखा है, दाहिनी निचली भुजा में कमल का पुष्प धारण किए हुए हैं जो कि ऊपर को उठा हुआ है। स्कंदमाता का वर्ण पूर्ण श्वेत रंग का है। यह सदैव कमल के पुष्प पर विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें देवी पद्मासन कहा जाता है और साथ ही इस रूप में मां समस्त ज्ञान, विज्ञान, धर्म, कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरणों से समाहित विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहलाती हैं। देवी स्कंदमाता का वाहन सिंह है। स्कंदमाता सूर्यमंडल में उपस्थित अधिष्ठात्री देवी का स्वरूप है।
Navratri 2024 5th Day: स्कंदमाता का भोग
स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं सबसे प्रिय हैं। इसलिए उनके भोग में पीले फल और पीली मिठाई अर्पित की जाती है। आप इस दिन केसर की खीर का भोग भी मां के लिए बना सकते हैं। विद्या और बल के लिए मां को 5 हरी इलाइची अर्पित करें और साथ में लौंग का एक जोड़ा भी चढ़ाएं।
Navratri 2024 5th Day: पीले रंग का महत्व
स्कंदमाता की पूजा में पीले या फिर सुनहरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां का श्रृंगार पीले फूल से करें और मां को सुनहरे रंग के वस्त्र अर्पित करें और पीले फल चढ़ाएं। पीला रंग सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है और इस रूप में दर्शन देकर मां हमारे मन को शांति प्रदान करती हैं।
Navratri 2024 5th Day: मां स्कंदमाता की पूजाविधि
मां स्कंदमाता के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें। उसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें। पीले फूल से मां का श्रृंगार करें। पूजा में फल, फूल मिठाई, लौंग, इलाइची, अक्षत, धूप, दीप और केले का फल अर्पित करें। उसके बाद कपूर और घी से मां की आरती करें। पूजा के बाद क्षमा याचना करके दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मां आपका कल्याण करेंगी और आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण करेंगी।
इनकी वंदन आराधना करने से भक्तों को तेज तथा कांति की प्राप्ति होती है। जो भी मनुष्य एकाग्रता से पूर्ण निष्ठा के साथ देवी स्कंदमाता का ध्यान करता है उसके सभी कष्ट दूर होते हैं। वह भक्त जगत के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।
Navratri 2024 5th Day: इन मन्त्रों से करें आराधना
- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- 3. ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
Navratri 2024 5th Day: स्कंदमाता की व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तारकासुर नामक का एक राक्षस था, जिसकी मृत्यु केवल शिव जी के पुत्र ही कर सकते थे। ऐसे में तब पार्वती माता ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया। मां स्कंदमाता ने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। ऐसा कहा जाता है कि स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान स्कंद ने तारकासुर का वध किया और तभी से माता का नाम स्कंदमाता पड़ गया।
Navratri 2024 5th Day: स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥
जय देवी स्कंदमाता
Posted By: Himachal News
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