जुलाई 2023 की भंयकर बाढ के कारण मलबे से भरी पिन पार्वती नदी से बाढ का खतरा टालने के लिए सैंज घाटी में हुआ ड्रेजिंग का कार्य सुरक्षा की दृष्टी से नाकाफी साबित हुआ है। नदी के किनारे लगाए गए मलबे के ढेर आने वाली बरसात में आफत बनकर फिर तबाही मचा सकते हैं। संभावित खतरे को देखते हुए स्थानिय लोग कई बार प्रशासन की दहलीज पर दस्तक दे चुके हैं लेकिन एक साल से मलबे को ठिकाने लगाने के कोई पुख्ता इंतजाम न होने से लोग निराश हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन ने तबाही से कोई सबक नही लिया। नदी का तटीकरण न होने से अभी भी दर्जनों गांव खतरे की जद में बने हुए हैं।
घाटी में पहले सैंज बाजार में ड्रेजिंग का कार्य किया गया और बाद में न्यूली, रोपा, करटाह, सियूंड, बिहाली और लारजी क्षेत्र में नदी के मलबे को किनारे पर लगाया गया। शुरूआती दौर में प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सैंज सहित कुल्लू जिला की नदियों में भरे मलबे का निष्पादन करने का फैसला लिया।
प्रशासन ने बंजार उपमंडल की सैंज घाटी की नदी की सफाई के टेंडर करवाए। नदी के बीच के टापू को हटाने और नदी के किनारों को मजबूत करने की योजना बनाई गई। नदी के बीच में जमा मलबे और बोल्डर को हटाकर किनारे लगाया जाना तय हुआ। ताकि आने वाले समय में नदी के किनारों बसे गांवों को नुकसान न पहुंचा सके।
उस समय संवेदनशील बन चुकी नदियों की ड्रेजिंग किए जाने से लोगों ने राहत की सांस ली है। लेकिन ड्रेजिंग होने के बाद तटीकरण का काम न होने से लोग हताश है।
उपर उठ गया है नदी का लेबल
अमूमन बाढ़ आने के बाद नदी का तल नीचे जाता है लेकिन इस बार लेबल हैरतजनक तरीके से पांच से दस मीटर उंचा हो गया है। इसी से नदी किनारे बसे लोगों को खतरा महसूस हो रहा है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
देहुरीधार पंचायत के प्रधान भगत राम और बाढ प्रभावित समिति के अध्यक्ष बुध राम ने बताया कि न्यूली, सतेश, नुनूर बहली, रोपा, करटाह, सिउंड, सैंज, बकशाहल, बिहाली, तरेहडा, लारजी और तलाडा क्षेत्र के रिहाइशी इलाकों में नदी में मलबे के पहाड़ खड़े हो गए है। कंकर, पत्थर और रेत के ढेर मुसीबत बन गए हैं। आने वाली बरसात में बाढ के खतरे को रोकने के लिए प्रशासन की न कोई तैयारी है और न बीते साल की आपदा से कोई सबक सीखा।
बाढ से नदी ने बदला है रूख: डीसी
डीसी कुल्लू तरूल एस रविश ने कहा, -“पिन पार्वती नदी में बाढ से भारी नुकसान हुआ है जिसमें कई जगह पर नदी ने रूख बदला है और कई स्थानों पर टापू बने हैं। इससे नदी से किनारे संवेदनशील हो गए हैं। बाढ़ से सैंज घाटी में सैंकड़ों बीघा मलकियती जमीन का कटाव हुआ है और करीब दो सौ रिहाइशी मकान भरभराकर ध्वस्त हो चुके हैं। नदी से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए मलबा हटाया जा रहा है और संबधित क्षेत्र के एसडीएम को देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है।”
क्या कहते हैं एसडीएम
एसडीएम बंजार पंकज शर्मा ने बताया कि मलबा हटाने का कार्य पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। डीसी कुल्लू ने डिजास्टर एक्ट के तहत आदेश जारी किए हैं और ड्रेजिंग जोन की निगरानी संबंधित एसडीएम को सौंपी है।
रिपोर्ट: हरिराम चौधरी
Posted By: Himachal News