समुद्रतल से करीब 7,900 मीटर की ऊंचाई पर तोष गांव (Tosh Village) कुल्लू जिले में पार्वती वैली का आखिरी गांव है। गांव का कुदरत ने खूब हार-श्रृंगार किया है। यह गांव शोरगुल से कोसों दूर है। बड़े-बड़े देवदार, ढलानदार खेतों में उगीं जड़ी-बूटियां, जंगली फल, कल-कल बहते झरने, बर्फ से ढके पहाड़… यहां पहुंचते ही एहसास होता है कि शांति और सुकून की खोज पुरी हो गई है।
यहां जीवनदायिनी जड़ी-बूटियों की सुगंध, करीब से दिखते बर्फ से लकदक पहाड़, बूढ़े देवदार और जवान सेब के पेड़ आपसे बतियाते दिखते हैं। कल-कल बहते झरने मन को हर लेंगे।
तोष गांव कर देता है मदहोश…
गांव में अखरोट के 400 साल पुराने 20 विशालकाय पेड़ हैं। तोष से पुल्गा की ओर ढलानों पर लगे ये पेड़ हर किसी का ध्यान आकर्षित लेते हैं। यहां हैरान करने वाली बात यह है कि तोष गांव में कम पढ़े या बिल्कुल अनपढ़ लोग भी कई विदेशी भाषाएं बोलने-समझने में सक्षम हैं।
Tosh Village: तोष अपनी संजीदगी और सादगीपूर्ण महमोहक कुदरती नजारों के साथ आपका इंतजार करते हुए आपके स्वागत के लिए सदा तैयार रहता है। पिछले एक दशक से तोष प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर अपनी चमक बिखेर रहा है। तोष में प्राकृतिक सौंदर्य, लोकजीवन और धार्मिक आस्था के दर्शन एक साथ होते हैं। तोष में पार्वती नदी का उद्गम स्थल है। गांव में पहुंचते ही कुदरत के मनोहारी संगीत की धुन पर आपके पांव खुद-ब-खुद थिरकने लगेंगे।
Tosh Village: 2001 में आग की भेंट चढ़ गया था यह गांव
नवंबर 2001 में आग की भेंट चढ़ जाने से गांव में लकड़ी के बने 200 घर जल कर राख हो गए थे। इस हादसे में एक बच्ची की जान गई थी। यहां के मेहनतकश लोगों ने कड़ी मेहनत से फिर से गांव को बसा लिया और आज तोष देश विदेश के पर्यटकों का पसंदीदा स्थल बन गया है।
Tosh Village: सेब और पर्यटन ने बदली तस्वीर
सेब उत्पादन और पर्यटन तोष गांव की आर्थिकी का मुख्य आधार है। तोष ट्रैकरों का मनपसंद गांव है। यहां से खीरगंगा और कसोल के ट्रैक रूट्स पर ट्रैकिंग करने का अपना आनंद है। गांव में सैलानियों के आकर्षण का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां स्थानीय लोगों से ज्यादा संख्या पर्यटकों रहती है। देश-विदेश के पर्यटकों का मनपसंद स्पॉट होने से तोष गांव में दर्जनों होम स्टे बने हैं। होम स्टे का प्रबंधन खुद संभालने की जगह अधिकतर लोगों ने उन्हें लीज पर दे रखा है। पर्यटन कारोबार के कई बड़े नाम यहां अपना कारोबार कर रहे हैं।
Tosh Village: जमदग्नि मंदिर में बाहरी का जाना निषेध..
तोष गांव की कुछ विशेष धार्मिक मान्यताएं हैं। ग्राम देवता जमदग्नि ऋषि यहां के सबसे बड़े देव हैं और उनका ऐतिहासिक मंदिर आकर्षण का केंद्र है। यहां सभी कार्य देव आज्ञा से ही शुरू होते हैं। देवता जमदग्नि ऋषि मंदिर परिसर में बाहरी लोगों का जाना निषेध है। नियम तोड़ने की सूरत में 3000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। मंदिर परिसर में जमदग्नि ऋषि की पत्नी माता रेणुका का मंदिर है, इसमें पुजारी के अतिरिक्त किसी को जाने की अनुमति नहीं।
Tosh Village: जानिए कैसे पहुंचें तोष की मनोहारी वादियों में….
सड़क मार्ग से…हिमाचल का तोष गांव दिल्ली से 540 किमी की दूरी पर है। दिल्ली कश्मीरी गेट ISBT से भुंतर के लिए वॉल्वो, डीलक्स और ऑर्डिनरी बस सुविधा उपलब्ध है।
वायु मार्ग से…दिल्ली से अंबाला या चंडीगढ़ तक रेल से पहुंचा जा सकता है। वहां से बस, टैक्सी या कैब से यहां पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से…चंडीगढ़ और दिल्ली से हवाई मार्ग से भुंतर तक की फ्लाइट सुविधा है। भुंतर से तोष के लिए लोकल बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
प्रस्तुति: सोमसी देष्टा
Posted By; Himachal News