What is a National Disaster: जानिए क्या होती है राष्ट्रीय आपदा? क्या किसी घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जा सकता है? क्या पहले भी कभी ऐसा हुआ है? सरकार का इस पर क्या रुख है?
क्या होती है किसी आपदा की परिभाषा?
राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA) भारत में केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक एजेंसी है जो प्राकृतिक आपदाओं या मानव-निर्मित आपदाओं के आने पर किये जाने वाले कार्यों में समन्वय स्थापित करती है। इसके साथ ही यह एजेंसी आपदाओं से निपटने के लिए क्षमता-निर्माण का भी काम करती है। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार ‘आपदा’ को परिभाषित किया गया है। एनडीएमए के अनुसार, ‘आपदा का अर्थ किसी भी क्षेत्र में तबाही, दुर्घटना, विपत्ति या गंभीर घटना है। यह प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से, या दुर्घटना या लापरवाही से उत्पन्न हो सकती है। आपदा का नतीजा यह होना चाहिए जीवन की भारी क्षति या मानवीय पीड़ा या संपत्ति को नुकसान पहुंचे और नष्ट हो या पर्यावरण की क्षति हो या उसका ह्रास। या आपदा की ऐसी प्रकृति या परिमाण हो कि जिसका प्रभावित क्षेत्र के लोग सामना भी न कर सके।
तो राष्ट्रीय आपदा क्या होती है?
वर्तमान में देश में किसी घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई कार्यकारी या कानूनी प्रावधान नहीं है। 2013 में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने संसद को दिए एक जवाब में कहा था कि ‘प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है’। हालांकि, जवाब में यह भी कहा गया था कि ‘गंभीर प्रकृति’ की आपदा के लिए, मौजूद प्रक्रिया का पालन करने के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त मदद पर भी विचार किया जाता है। 2013 में ही केदारनाथ की घटना को दुर्लभ गंभीरता वाली आपदा कहा गया था। इससे पहले 10वें वित्त आयोग (1995-2000) ने एक प्रस्ताव की जांच की थी। प्रस्ताव यह था कि यदि कोई घटना किसी राज्य की एक-तिहाई आबादी को प्रभावित करती है तो उसे ‘दुर्लभतम गंभीरता की राष्ट्रीय आपदा’ कहा जाए। आयोग ने ‘दुर्लभ गंभीरता की आपदा’ को परिभाषित नहीं किया। हालांकि, वित्त आयोग ने यह जरूर कहा था कि दुर्लभ गंभीरता की आपदा का फैसला अनिवार्य रूप से हरेक मामले के आधार पर किया जाना चाहिए।
‘राष्ट्रीय आपदा’ के मसले पर मौजूदा सरकार का क्या पक्ष है?
30 जुलाई 2024 को वायनाड में भूस्खलन से हुई तबाही के बाद कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग शुरू कर दी। इस मसले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन ने कहा कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत ‘राष्ट्रीय आपदा’ की अवधारणा मौजूद नहीं है, यह तथ्य यूपीए सरकार के कार्यकाल से ही है। मुरलीधरन ने कहा कि केंद्र सरकार प्रभावित राज्य सरकारों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगी। आपदा के तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मृतकों के परिवारों को दो लाख रुपये तथा घायलों के परिवारों को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की थी।
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