Nag Panchmi: भारतीय संस्कृति में नागों का बेहद ही अहम और बड़ा महत्त्व है। नागपूजा की प्रथा हमारे देश में प्राचीनकाल से चली आ रही है। मानव सभ्यता में नागों को सूर्य तथा शक्ति का अवतार माना जाता है। हिन्दू धर्म में नाग देवता को जल और अन्न का देवता माना जाता है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। अगर किसी को इस दिन नागों के दर्शन होते हैं तो उसे बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी की पूजा से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नागपंचमी का पौराणिक महत्त्व
भविष्यपुराण में बताया गया है कि जब सागर मंथन हुआ था, तब नागों को माता की आज्ञा न मानने के चलते श्राप मिला था। राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर ये सभी भस्म हो जाएंगे। इससे सभी घबराए हुए नाग ब्रह्माजी की शरण में पहुंच गए। नागों ने ब्रह्माजी से मदद मांगी तो ब्रह्माजी ने बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे, तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को नागों को उनकी रक्षा का उपाय बताया था। वहीं, आस्तिक मुनि ने भी नागों को यज्ञ में जलने से सावन की पंचमी को ही बचाया था। मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर नागों के शरीर को शीतलता प्रदान की थी। इसके बाद नागों ने आस्तिक मुनि से कहा था कि जो भी उनकी पूजा पंचमी तिथि पर करेगा, उन्हें नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है।
नाग पंचमी के 12 नाग देवता
नाग पंचमी के दिन 12 नागों की पूजा का विधान है। इनके नाम अनंत, वासुकि, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्ववर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगल हैं। नाग पंचमी के दिन पूजन के बाद इन सभी नागों को प्रणाम किया जाता है। साथ ही प्रार्थना की जाती है कि उनकी कृपा जातक पर बनी रहे।
इन बातों का रखें खास ख्याल
नागपंचमी के दिन नागों को दूध नहीं पिलाया जाता है। दूध से इनका अभिषेक किया जाता है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि नागों को दूध पिलाने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इससे व्यक्ति को श्राप लगता है। कई जगहों पर चूल्हे पर तवा भी नहीं चढ़ाया जाता है क्योंकि कुछ लोग मानते हैं कि नाग का फन तवे जैसा होता है और चूल्हे पर तवे को रखना मतलब नाग के फन को जलाना होता है।
नागपंचमी के दिन क्यों बनाते हैं गोबर के सांप?
इस दिन घर में गोबर से नाग बनाया जाता है। हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से ही यह परंपरा चली आ रही है, जिसके अनुसार नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से नाग देवता की आकृति बनाई जाती है। मान्यता है कि, ऐसा करने से घर में शुभता आती है और घर में कभी नाग भय नहीं रहता।
कैसे करें नाग पंचमी की पूजा
नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद पूजा करें। दीवार पर गेरू लगाकर पूजा का स्थान बनाया जाता है। साथ ही घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र भी बनाया जाता है। सुगंधित पुष्प, कमल व चंदन से नागदेव की पूजा की जानी चाहिए। इस दिन मंदिर में चांदी के नाग और नागिन का दूध से अभिषेक करें और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को राहु और केतु से संबंधित दोषों से छुटकारा मिलता है। कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। कुल में कभी सर्प दंश से मृत्यु नहीं होती। नाग पूजन में चंदन की लकड़ी का प्रयोग अवश्य करें। नागों को चंदन की सुगंध अति प्रिय है। नाग पंचमी की कथा सुने और नाग देवता के लिए खेत या खुले स्थान पर दूध रखें।
पूजा के दौरान करें इन नियमों का पालन
मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की उपासना करने से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन पूजा के दौरान नियम का पालन न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। नाग देवता और शिवलिंग पर दूध अर्पित करने के लिए तांबे के धातु से बने पात्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दूध चढ़ाने के लिए पीतल से बने पात्र को अच्छा माना जाता है।
धरती को खोदने का काम वर्जित
नाग पंचमी के दिन भूमि को खोदने का काम वर्जित माना गया है। प्राचीन ग्रंथकारों के अनुसार वर्षा ऋतु में सांपों के निकलने का समय होता है। भोले नाथ भंडारी महाशिवरात्रि के दिन अपनी झोली से विषैले जीवों को भूमि पर विचरण हेतु छोड़ देते हैं तथा जन्माष्टमी के दिन पुन: अपनी झोली में समेट लेते हैं। वर्षा ऋतु में नागों के बिलों में पानी भर जाने के कारण वे बाहर आ जाते हैं। इसी कारण प्रत्यक्ष नाग पूजन का समय नागपंचमी का दिन विशेष महत्व रखता है। इस मास में भूमि पर हल नहीं चलाना चाहिए। मकान बनाने के लिए नींव भी नहीं खोदनी चाहिए।
नाग पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 9 अगस्त को सुबह 8 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 10 अगस्त को सुबह 6 बजकर 9 मिनट तक है। नाग पंचमी का त्योहार 9 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस बार नाग पंचमी पर कई योग बनने वाले हैं। इनमें शिववास योग, सिद्ध योग, साध्य योग शामिल है। शिववास योग में भगवान शिव कैलाश पर मां पार्वती के साथ वास करते हैं। इस समय में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय के साथ नाग देवता की पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। दोपहर 1 बजकर 46 मिनट सिद्ध योग बन रहा है। इसके बाद साध्य योग का निर्माण होगा। सिद्ध और साध्य योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। इस दिन बव और बालव करण का योग भी बन रहे हैं। इसके बाद बालव करण का निर्माण होने वाला है।
नाग पंचमी 2024: पूजा मुहूर्त और विधि
नाग पंचमी को सुबह 6 बजकर 1 मिनट से लेकर 8 बजकर 37 मिनट तक सबसे उत्तम मुहूर्त है। इस दौरान भगवान शिव और नाग देवता की पूजा की जा सकती है।
नाग पंचमी मंत्र
नाग पंचमी के दिन दूध, कुशा, गंध, फूल और लड्डुओं से यह मंत्र पढ़ कर स्तुति करें।
ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। लेख में बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। हिमाचल न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।)
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