हरिराम चौधरी : सैंज
Parvati Project: पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण-तीन के कुल्लू जिला के सिउंड स्थित डैम में सेंट्रल वाटर कमीशन की गाइडलाइन के अनुसार अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सैंज घाटी की पिन पार्वती नदी में बीते वर्ष जुलाई माह में आई बाढ के ठीक एक साल के बाद परियोजना प्रबंधन ने यह बहुप्रतीक्षित कदम उठाया है।
परियोजना प्रबंधन ने एक करोड 16 लाख रूपए की लागत से सिउंड डैम में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाए जाने की निविदाएं आमंत्रित की है। इस सिस्टम के स्थपित होने के बाद सिंउंड डैम के गेट खुलेंगे तो उसी समय डैम से लेकर लारजी तक जोर से हूटर बज जाएंगे। इससे लोग उसी समय अलर्ट हो जाएंगे।
पार्वती परियोजना चरण तीन के महाप्रबंधक प्रकाश चंद ने बताया कि सेंसर बेसड इस अरली वॉरनिंग सिस्टम का टेंडर लगा दिया गया है और अगले दो महीनों में इसे स्थापित कर दिया जाएगा। सिउंड डैम से लेकर लारजी तक नदी के किनारे 5 हूटर लगाए जाएंगे। यह हूटर न सिर्फ बजेगा बल्कि इससे आवाज के माध्यम से संदेश प्रसारित करने का भी प्रावधान होगा। हूटर ओमनीडायरेक्शनल होगा, जो चारों दिशाओं में सुनाई देगा।
अर्ली वॉर्निंग सिस्टम होते तो न होती तबाही
कुल्लू जिला की जल विद्युत परियोजनाओं में डैम सेफ्टी एक्ट की अवेहलना न हुई होती तो बीते वर्ष नदियों की तबाही से बचा जा सकता था। जिला में परियोजनाओं के पांच बांधों से पानी छोड़ने की वजह से डाउन स्ट्रीम में भारी नुकसान हुआ। 10 जूलाई 2023 को बाढ ने कुल्लू घाटी में 200 से अधिक परिवारों को बेघर कर दिया और सैंकडों बीघा मलकियती भूमि तबाह कर दी थी। इसके अलावा करोडों की वन संपदा को क्षति पहुंची है। सरकार ने 2014 में प्रदेश की सभी जल विद्युत कंपनियों को अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन जिला में नौ वर्षों से पांच में से एक भी परियोजना में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापिन नही हो पाई है।
पांचों ही डैम नहीं लगे हैं अर्ली वॉर्निंग सिस्टम
जिला में एडी हाइड्रो की 192 मेगावाट की एलाइन दुहांगन, मलाणा पावर कंपनी की 86 मेगावाट की क्षमता वाली मलाणा-एक, एवरेस्ट पावर लिमिटेड की 100 मेगावाट की मलाणा-दो, हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की 100 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली सैंज जल विद्युत परियोजना और सिउंड में एनएचपीसी के 520 मेगावाट प्रोजेक्ट का डेम बने हुए हैं। पांचों ही डेमों में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम नही लगे हैं। इन बांधों पर आपदा को मॉनिटर करने या उसकी सूचना साझा करने जैसी प्रणालियां न होने से लोगों को अकारण बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ रहा है।
सरकार के नोटिस के बाद जागा प्रबंधन
बीते वर्ष हिमाचल सरकार ने प्रदेश में बिजली परियोजनाओं के बांधों में सुरक्षा उपकरण न लगाने पर 21 परियोजनाओं को लीगल नोटिस दिए गए थे। इसमें कुल्लू जिला में स्थापित हुई पांचों परियोजनाएं भी शामिल हैं। नोटिस के बाद परियोजना प्रबंधन ने अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाए जाने की यह प्रक्रिय शुरू की है।
Posted By: Himachal News