हिमाचल न्यूज़: मंडी
उपायुक्त अपूर्व देवगन की अध्यक्षता में एमपॉक्स (Mpox) महामारी से निपटने की तैयारियों को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में जिला टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई। बैठक में कहा गया कि वैश्विक महामारी एमपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से चौकस है और किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है।
बैठक में सभी विभागों से तालमेल बनाकर इसका सामना करने की रणनीति पर चर्चा की गई। उपायुक्त ने इस दौरान स्वास्थ्य विभाग को इस वैश्विक बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए ताकि लोगों तक सही जानकारी पहुंच सके और अनावश्यक तौर पर वे घबराएं नहीं।
बैठक में बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग एमपॉक्स बीमारी को लेकर पूरी तरह से सतर्क है। विभाग द्वारा सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। नेरचौक मेडिकल कॉलेज में 67, जोनल हॉस्पिटल में 20, सिविल हॉस्पिटल सुंदरनगर में दो और करसोग में 6 आइसोलेशन बैड चिन्हित किए गए हैं। अन्य उपकरण भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नरेन्द्र भारद्वाज, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ धर्म सिंह, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश ठाकुर, कार्यक्रम अधिकारी अनुराधा शर्मा, क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ अरिंदम राय, जिला विकास अधिकारी डीआरडीए गोपी चंद पाठक, जिला पंचायत अधिकारी अंचित डोगरा, अतिरिक्त आयुक्त एमसी मंडी विकास शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय बदरेल, जिला कल्याण अधिकारी समीर सहित वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी व खण्ड चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे।
जानिए क्या Mpox महामारी
एमपॉक्स (Mpox) जिसे पहले मंकीपॉक्स (Monkeypox)के नाम से जाना जाता था। एमपॉक्स एक संक्रामक वायरल रोग है जो मनुष्यों और कुछ अन्य जानवरों में हो सकता है। मंकीपॉक्स नाम मूल रूप से इसलिए रखा गया क्योंकि इस बीमारी की पहचान सबसे पहले प्रयोगशाला के बंदरों में हुई थी। बाद में कई कारणों से गलत नाम होने के कारण इसकी आलोचना की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन नवंबर 2022 में मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदलकर एमपॉक्स किया।
Mpox: 1958 में आया पहला मामला
एमपॉक्स का पहला मामला डेनमार्क में वर्ष 1958 में पाया गया था व इसका निदान मध्य अफ्रीकी देश कांगो में हुआ था। यह बीमारी संक्रमित बंदरों, गिलहरी, चूहों आदि से स्वस्थ आदमी में आती है तथा इसके लक्षण उभरने में पाँच से 21 दिन तक लग सकते हैं। जिनमें त्वचा पर दाग, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, जुकाम आदि हो सकते हैं। यह बीमारी संक्रामक है तथा बीमार व्यक्ति के निकट संपर्क से, त्वचा से त्वचा का संपर्क होने, उसके बर्तन, तौलिया, बिस्तर सांझा करने पर फैलती है।
Mpox के लक्षण
एमपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों जैसे होते हैं। चेचक की तरह, एमपॉक्स से हुए दाने सपाट, लाल धब्बे के रूप में शुरू होते हैं। इसके बाद धब्बे फफोले में बदल जाते हैं, जो मवाद से भर जाते हैं (फुंसी बनाते हैं)। कई दिनों के बाद, फुंसी में पपड़ी बन जाती है। 2022 से पहले, दाने अक्सर चेहरे पर शुरू होते थे और हथेलियों और तलवों सहित शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते थे। जबकि, 2022 के वैश्विक प्रकोप में दाने ज़्यादातर जननांगों पर या उसके पास या मुंह में शुरू होते हैं, जो अक्सर दर्दनाक होते हैं।
इसमें बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, अत्यधिक थकान और प्रमुख रूप से सूजी हुई लसीका ग्रंथियां भी शामिल हो सकती हैं। ये लक्षण दाने प्रकट होने से पहले, दौरान या बाद में हो सकते हैं।
चेचक की तुलना में कैसा है Mpox
डॉ. अरिंदम राय ने बताया कि यह बीमारी आमतौर पर चेचक की तुलना में हल्की होती है, लेकिन यह मृत्यु का कारण बन सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 2003 के प्रकोप के दौरान कोई मौत नहीं हुई। 2022 में, इस महामारी से हजारों मामलों में कुछ मौतें हुई हैं।
Mpox: क्या कहते हैं चिकित्सक
मंडी के क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ. अरिंदम राय ने बताया कि इसके लक्षण कुछ-कुछ चिकन पॉक्स व मीजल से मिलते हैं। एमपॉक्स Mpox (मंकीपॉक्स) वायरस के कारण होता है, जो चेचक वायरस से संबंधित है। किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के 1 से 2 सप्ताह बाद लक्षण शुरू हो सकते हैं, लेकिन लक्षण दिखाई देने में 3 सप्ताह तक का समय लग सकता है। समय पर निदान होने पर इसके सैंपल लेकर प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं ताकि समय पर उपचार हो सके।
Posted By: Himachal News
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