सोमसी देष्टा: शिमला
हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं संघ द्वारा कर्मचारियों के देय वेतन भत्ते न देने के विरोध में हाल ही में की गयी प्रेस वार्ता के बाद अब हिमाचल प्रदेश वन विभाग के कर्मचारियों ने अपना मोर्चा खोला है। महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश बादल (Prakash Badal) और वन विभाग चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश ठाकुर ने एक संयुक्त प्रैस वार्ता में बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों से उन्हे देय भत्ते न मिलने से कर्मचारियों में निराशा है।
इस अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए वन विभाग कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश बादल ने बताया कि कर्मचारियों का 12 प्रतिशत डीए सरकार ने अब तक अदा नहीं किया है और पे रिविज़न का एरियर भी बकाया है। प्रकाश बादल ने यह भी बताया कि एक तरफ सरकार तरह-तरह के शुल्क लगा रही है, वहीँ कर्मचारियों के वेतन-भत्तों की देय वृद्धि उन्हें जारी नहीं कर रही है, जिसके चलते प्रदेश के कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
प्रकाश बादल ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं संघ के अध्यक्ष संजीव कुमार द्वारा गत दिवस कर्मचारियों और पेंशनरों के देय वेतन भत्ते जारी न करने हेतु की गयी प्रेस वार्ता का स्वागत करते हुए कहा है कि वन विभाग के कर्मचारी सचिवालय सेवाएं संघ के 21 अगस्त को होने वाले जनरल हाऊस में भाग लेगा और अपनी मांगों को लेकर सचिवालय सेवाएं संघ के साथ चलेगा।
नौकरशाह मुख्यमंत्री को कर रहे हैं गुमराह: Prakash Badal
प्रकाश बादल ने यह भी बताया की प्रदेश की नौकरशाही मुख्यमंत्री के समक्ष कर्मचारियों के भत्तों की देनदारी को लेकर गुमराह कर रही है, जबकि दूसरी ओर सरकार में फ़िज़ूल खर्ची रोकी नहीं जा रही। प्रकाश बादल ने अपने बयान में आगे कहा है कि छोटे कर्मचारियों का मुख्यमंत्री और सरकार से सीधा संवाद न होने के कारण यह परिस्थितियां उत्पन्न हो रही है, जहाँ नौकरशाही कर्मचारियों की देनदारियों के भ्रामक आंकड़े माननीय मुख्यमंत्री को बता रही है, वहीं मुख्यमंत्री और सरकार बे बीच संवाद के रास्ते लगभग बंद है।
कर्मचारियों को वार्तालाप के लिए न बुलाया जाना निराशाजनक: Prakash Badal
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का चुनाव होने के बाद भी कर्मचारियों को जेसीसी और वार्तालाप के लिए न बुलाया जाना निराशाजनक है। प्रकाश बादल ने यह भी बताया कि संवादहीनता के कारण हिमाचल के कर्मचारी मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांग नहीं रख पा रहे हैं और न ही कर्मचारियों के पत्रों का सरकार द्वारा कोई उत्तर दिया जा रहा है और दूसरी तरफ नौकरशाही कर्मचारियों के भत्तों में अडंगा लगा रही है।
मांगे न मानी तो होगा आन्दोलन: Prakash Badal
प्रैस वार्ता में यह भी बताया की यदि कर्मचारियों के देय भत्ते नहीं दिए गए तो कर्मचारी आगामी रणनीति के तहत आन्दोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं| प्रकाश बादल ने हिमाचल के सभी विभागों के कर्मचारी संगठनों से एक साझा मंच बनाने का भी आग्रह किया ताकि सरकार के समक्ष कर्मचारियों की मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया जा सके। कर्मचारियों के वेतन भत्ते न मिलने का मुख्य कारण कर्मचारियों के खेमों में बंटे होना है। कोई भी कर्मचारी संगठन कर्मचारियों की समस्याओं को सरकार के समक्ष नहीं उठा रहा है। ऐसे में सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन द्वारा सरकार के समक्ष अपनी मांगे पुरजोर तरीके से रखने के लिए वन विभाग कर्मचारी महासंघ ने खुशी ज़ाहिर की है और इसकी सराहना की है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों से आग्रह किया है कि सभी मतभेद दूर करके कर्मचारियों को एक जुट होकर अपनी मांगे सरकर के समक्ष रखने की रणनीति तय करें।
उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नहीं करेंगे निराश :Prakash Badal
कर्मचारियों का, सरकार द्वारा वेतन भत्ते न दिए जाने पर रोष बढ़ता जा रहा है। बादल ने यह भी उम्मीद ज़ाहिर की है कि हिमाचल के मुख्यमंत्री कर्मचारियों को निराश नहीं करेंगे और जल्द ही कर्मचारियों के देय वेतन भत्ते जारी करने के आदेश जारी करेंगे।
फील्ड में भेजे जाएं दफ्तरों में काम करने वाले फारेस्ट गार्ड, बीओ एवं रेजंर: Prakash Badal
हिमाचल प्रदेश वन विभाग कर्मचारी महासंघ ने प्रेस वार्ता में बताया कि वन विभाग में वर रक्षक, बीओ एवं रेज अफसर को विशेष रूप से लाखों रूपए ट्रेनिंग के द्वारा यूं तो जंगलों की रक्षा के लिए नियुक्त किया जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से तीन सौ से भी अधिक वन रक्षकों को दफ्तरों में तैनाती दी गयी है। यह न केवल सरकारी धन का दरुपयोग है, बल्कि हिमाचल के वनों में खाली पड़ी बीटों के लिए भी चिंताजनक है।
नियमों को ताक पर रख कर बाबू का काम: Prakash Badal
प्रकाश बादल ने अपने बयान में यह भी बताया कि एक तरफ जो वन रक्षक फील्ड में कार्य कर रहे हैं, उनको पांच से छ: बीटों का चार्ज दिया गया है, जबकि कुछ लोग सरकारी नियमों को ताक पर रख कर दफ्तरों में बाबू का काम दिया गया है, जिससे न केवल सरकारी धनराशी का दरुपयोग हुआ है, बल्कि दफ्तरों में काम कर रहे वन रक्षकों के कारण फील्ड की सैंकड़ों बीटें खाली पड़ी हैं और अधिकतर वनरक्षकों के पास एक से अधिक बीटों का चार्ज है। इसी प्रकार लगभग सौ वन रक्षक वन विभाग में स्पेशल ड्यूटी पर दफ्तरों में तैनात हैं और कई रेंज अफसर भी दफ्तरों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस प्रकार फील्ड स्टाफ को दफ्तरों में लगाया जाना सरकारी धन का दरुपयोग है।
अतिरिक्त कार्यभार ढो रहे फील्ड कर्मचारी मानसिक तनाव में : Prakash Badal
दूसरी तरफ वन विभाग में मिनिस्ट्रियल स्टाफ के पदों को लम्बे अरसे से न भरे जाने के कारण विभाग में लगभग 150 क्लर्क/ जेओएआईटी के पद खाली हैं और सौ से भी अधिक सीनियर असिस्टेंट के पद खाली है, जिन्हें भरने के लिए वन विभाग ने कोई विशेष रूचि नहीं दिखाई है। प्रकाश बादल ने यह भी बताया कि इससे पहले समय-समय पर वो सरकार और विभाग को लिखते आए हैं कि वन विभाग में मिनिस्ट्रियल स्टाफ की रिक्तियां जल्द भरी जाएं और फील्ड स्टाफ को फीड में तैनात किया जाए। दफ्तरों में तैनात फील्ड कर्मचारियों के कारण अतिरिक्त कार्यभार का बोझ ढो रहे फील्ड कर्मचारी भी मानसिक तनाव में हैं बल्कि कई बार अतिरिक्त कार्यभार होने के कारण उन्हें वन माफियाओं से लड़ते लड़ते अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। होशियार सिंह काण्ड इसका ज्वलंत प्रमाण है।
वन मुखिया से जल्द करेंगे बैठक: Prakash Badal
बादल ने वन विभाग की फील्ड स्टाफ एसोसिएशन से भी आग्रह किया है कि वो भी सरकार के समक्ष दफ्तरों में काम कर रहे फील्ड स्टाफ को फील्ड में तैनात करने का आग्रह करें। प्रकाश बादल ने यह भी बताया कि उन्हें वन विभाग के नवनियुक्त वन बल मुखिया डॉ. पवनेश से भी वो जल्द बैठक करेंगे और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। यदि जल्द फील्ड स्टाफ को फील्ड में तैनाती नहीं दी गयी तो हिमाचल प्रदेश वन विभाग के कर्मचारी न्यायालय की शरण लेने पर भी विवश होंगे।
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