03 October 2024 Ka Panchang: वैदिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन प्रातःकाल पंचांग पढ़ना शुभ माना जाता है। पंचांग हिन्दू कैलेंडर है जो भारतीय वैदिक ज्योतिष में दर्शाया गया है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अवयवों से बना है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण। पंचांग एक निश्चित स्थान और समय के लिये सूर्य, चन्द्रमा और अन्य ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है।
03 October 2024 Ka Panchang: हिंदू पंचांग के अनुसार आज बृहस्पतिवार है। बृहस्पतिवार का दिन सुख समृद्धि और सौभाग्य का दिन होता है। यह दिन भगवान विष्णु और मां सरस्वती दोनों की पूजा का दिन होता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न नहीं होते, मगर शास्त्रों में उनको प्रसन्न करने के बेहद आसान उपाय भी बताए गए हैं। जिनके माध्यम से आप प्रभु की कृपा के पात्र बन सकते हैं।
03 October 2024 Ka Panchang: ज्योतिषाचार्य पं. महेंद्र कुमार शर्मा द्वारा प्रस्तुत यह पंचांग में आपको आज का शुभमुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिन्दू मास एवं पक्ष की सम्पूर्ण जानकारी देता है। पंचांग के अनुसार शुभ दिन, शुभ तारीख और शुभ समय पर शुभ कार्य आरंभ करने पर किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव को नष्ट करता है।
अगर आप भी आज कोई शुभ काम करने की सोच रहे हैं तो देखिए ज्योतिषाचार्य पं. महेंद्र कुमार शर्मा द्वारा प्रस्तुत आज का पंचांग (Aaj ka Panchang) और जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त, और जानें कैसी रहेगी आज ग्रहों की चाल।
03 अक्तूबर 2024 का पंचांग (03 October 2024 Ka Panchang)
शक सम्वत | 1946 (पिङ्गल) | |
विक्रम सम्वत | 2081
(इस वर्ष का नाम क्रोधी रहेगा। पंचांग भेद से इसका नाम कालयुक्त है।) इस वर्ष के राजा मंगल और मंत्री की भूमिका में शनि है। |
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चन्द्र मास | अमांत – आश्विन | पूर्णिमांत – आश्विन |
हिन्दू मास | आश्विन | |
प्रविष्टे | 18 | |
वैदिक ऋतु | शरद | द्रिक ऋतु – शरद |
पक्ष | शुक्ल | |
तिथि | प्रतिपदा | |
वार | बृहस्पतिवार | |
नक्षत्र | हस्त 03:32 PM तक उपरांत चित्रा | |
योग | इन्द्र 04:24 AM तक, उसके बाद वैधृति | |
करण | किस्तुघन 01:39 PM तक, बाद बव |
03 October 2024 Ka Panchang: सूर्य और चंद्रमा
सूर्योदय | 06 : 20 AM |
सूर्यास्त | 05 : 59 PM |
चन्द्रोदय | 06 : 33 AM |
चन्द्रास्त | 06 : 17 PM |
सूर्या राशि | सूर्य कन्या राशि में है। |
चंद्र राशि | चन्द्रमा 05:06 AM तक कन्या, उपरांत तुला राशि पर संचार करेगा। |
03 October 2024 Ka Panchang: आज के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त | प्रातः 4:44 से 05:32 बजे तक। |
अभिजीत मुहूर्त | प्रातः 11:46 से दोपहर 12:33 बजे तक। |
अमृत काल | प्रातः 08:45 से 10:33 बजे तक। |
03 October 2024 Ka Panchang: आज के अशुभ मुहूर्त
राहुकाल | दोपहर 01 : 30 से 03 बजे तक। |
यम गण्ड | प्रातः 6:20 से 7:48 बजे तक। |
कुलिक | प्रातः 9:15 से दोपहर 10:42 बजे तक। |
दुर्मुहूर्त | प्रातः 10:13 से 11:00 बजे तक, उपरान्त दोपहर बाद 02:53 से 03:39 बजे तक। |
वर्ज्यम् | मध्यरात्रि के बाद 12:34 से 02:22 बजे तक। |
03 October 2024 Ka Panchang: आज के त्यौहार एवं व्रत
शरद ऋतु आरम्भ
शारदीय नवरात्रि शुरू नवरात्रि का पहला दिन: नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित होता है। |
03 October 2024 Ka Panchang: आज का उपाय
भगवान विष्णु को गांठ वाली सात हल्दी अर्पित करें। |
जानिए पंचांग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
हिन्दू धर्म में हिन्दी पंचांग के परामर्श के बिना कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, नागरिक सम्बन्ध, महत्वपूर्ण कार्यक्रम, उद्घाटन समारोह, परीक्षा, साक्षात्कार, नया व्यवसाय या अन्य किसी तरह के शुभ कार्य आरम्भ नहीं किए जाते। शुभ कार्य प्रारम्भ करने से पहले महत्वपूर्ण तिथि का चयन करने में हिन्दू पंचांग मुख्य भूमिका निभाता है।
पंचांग के पांच अंग
पंचांग मुख्य रूप से पांच अवयवों से बना है पंचांग के अंग माने जाते है। तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण।
तिथि : हिन्दू काल गणना के अनुसार ‘चन्द्र रेखांक‘ को ‘सूर्य रेखांक‘ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम – प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्थदशी और अमावस्या/पूर्णिमा।
वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार।
नक्षत्र : आकाश मंडल के एक तारा समूह है जिसे नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इनका स्वामी माना जाता है। इनका नाम- अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र।
योग : नक्षत्र की तरह ही योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम- विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति योग।
करण : एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
जानिए शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के बारे में
चंद्रमा के रोशनी वाले पखवाड़े के समय को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। यह अमावस्या से पूर्णिमा तक का समय होता है जब चंद्रमा चमकता है। जब चंद्रमा अपने रूप को धूमिल करता है उसे कृष्ण पक्ष कहा जाता है। यह अवधि पूर्णिमा से शुरू होती है और नव चन्द्र दिवस पर समाप्त होती है। इनमें से प्रत्येक अवधि में 15 दिन होते हैं जिन्हें क्रमशः शुक्ल पक्ष तिथि और कृष्ण पक्ष तिथि के रूप में जाना जाता है।
जानिए शुभ मुहूर्त कब होता है
शुभ मुहूर्त को शुभघड़ी भी कहा जाता है। शुभ मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को शुरु करने का ऐसा शुभ समय होता है जिसमें तमाम ग्रह और नक्षत्र शुभ परिणाम देने वाले होते हैं। इस समय में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ करने से लक्ष्यों को हासिल करने में सफलता मिलती है और काम में आने वाली अड़चने दूर होती हैं। वैदिक शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त का समय सबसे से शुभ माना जाता है।
राहुकाल (Rahukal): जानिए किस वार को किस समय होता है राहुकाल
राहुकाल प्रत्येक दिन 90 मिनट का एक निश्चित समय होता है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार जीवन का कोई भी मंगल कार्य इस समय के दौरान आरम्भ नहीं करना चाहिए। राहुकाल का समय किसी स्थान के सूर्योदय व वार पर निर्भर करता हैं। राहुकाल में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए।
वार | राहुकाल का समय |
सोमवार | सुबह 07: 30 से 09 बजे तक। |
मंगलवार | दोपहर 03 से 04 : 30 बजे तक। |
बुधवार | दोपहर 12 से 01 : 30 बजे तक। |
बृहस्पतिवार | दोपहर 01 : 30 से 03 बजे तक। |
शुक्रवार | सुबह 10 : 30 से 12 बजे तक। |
शनिवार | सुबह 09 बजे से 10 : 30 बजे तक। |
रविवार | शाम 04 : 30 से 06 बजे तक। |
जानिए ऋतुओं की ऋतुएं
भारत में भौगोलिक स्थिति के अनुसार एक वर्ष में मुख्य रूप से तीन ऋतुएं (मौसम) आती हैं जिन्हें हिन्दू पंचांग के अनुसार वैदिक ऋतु कहा जाता है। ये ऋतुएं है गर्मी, शीतकाल और ग्रीष्म। इन तीनों में शरीर के अन्दर अनेक प्रकार के परिवर्तन आते हैं। ये तीन मौसम छः ऋतुओं में बांटे गये हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इन ऋतुओं को द्रिक ऋतु कहा जाता है। ये ऋतुएं हैं- बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमन्त और शिशिर। प्रत्येक ऋतु दो-दो मास की होती है। चैत्र-वैशाख में बसन्त, ज्येष्ठ-आषाढ़ में ग्रीष्म, श्रावण-भाद्रपद में वर्षा, आश्विन-कार्तिक में शरद्, मार्गशीर्ष-पौष में हेमन्त तथा माघ-फाल्गुन में शिशिर ऋतु होती है।
– हरि ॐ
Posted By: Himachal News
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